नई दिल्लीः डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सीनेट के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता रजा रब्बानी ने शुक्रवार को अफगान तालिबान को समर्थन देने की सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाया।
एक सीनेट सत्र को संबोधित करते हुए, रब्बानी ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से हाल की एक घटना के बारे में संसद को विश्वास में लेने के लिए कहा जिसमें अफगानिस्तान में नए शासकों ने कथित तौर पर पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को सीमा पर बाड़ लगाने से रोक दिया था।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने अभी तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
पाकिस्तान ने काबुल के विरोध के बावजूद 2,600 किलोमीटर की सीमा में से अधिकांश पर बाड़ लगा दी है, जिसने ब्रिटिश काल की सीमा के सीमांकन को चुनौती दी है जो दोनों तरफ परिवारों और जनजातियों को विभाजित करता है।
अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला ख्वारज़मी ने कहा था कि तालिबान बलों ने पाकिस्तानी सेना को रविवार को पूर्वी प्रांत नंगरहार के साथ एक ष्अवैधष् सीमा बाड़ लगाने से रोक दिया था।
पिछली अमेरिका समर्थित अफगान सरकारों और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में खटास के पीछे बाड़ लगाना मुख्य कारण था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा गतिरोध इस बात का संकेत देता है कि तालिबान के इस्लामाबाद से घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद यह मुद्दा विवादास्पद बना हुआ है।
रब्बानी ने शुक्रवार को सत्र के दौरान कहा, ‘‘वे सीमा को पहचानने के लिए तैयार नहीं हैं, तो हम आगे क्यों बढ़ रहे हैं?’’
पीपीपी सीनेटर ने उन रिपोर्टों पर भी चिंता व्यक्त की कि प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अफगानिस्तान में फिर से संगठित हो रहा है, जो संभवतः पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।
उन्होंने सवाल किया ‘‘राज्य किन शर्तों पर प्रतिबंधित समूह के साथ युद्धविराम की बात कर रहा है?’’
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान राज्य का मतलब पाकिस्तान की नागरिक और सैन्य नौकरशाही है, न कि संसद में बैठे लोग।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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