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सेना ने किया म्यांमार का तख्तापलट, आंग सान सू सहित अन्य नेता नजरबंद

नई दिल्लीः पड़ोसी देश म्यांमार से खबर आ रही है कि वहां की सेना ने तख्ता पलट दिया है और म्यांमार की नेता आंग सान सू की सहित देश के राष्ट्रपति और सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं को नजरबंद कर दिया है। म्यांमार सैन्य टेलीविजन के हवाले से कहा गया है कि सेना ने एक […]

नई दिल्लीः पड़ोसी देश म्यांमार से खबर आ रही है कि वहां की सेना ने तख्ता पलट दिया है और म्यांमार की नेता आंग सान सू की सहित देश के राष्ट्रपति और सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं को नजरबंद कर दिया है। म्यांमार सैन्य टेलीविजन के हवाले से कहा गया है कि सेना ने एक साल के लिए देश पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। सैन्य स्वामित्व वाले मायवाड्डी टीवी पर एक प्रस्तुतकर्ता ने अधिग्रहण की घोषणा की। उन्होंने अधिग्रहण का कारण बताते हुए कहा कि सरकार के पिछले नवंबर के चुनाव में मतदाता धोखाधड़ी के सैन्य दावों पर कार्य करने में विफलता और कोरोनो वायरस संकट के कारण चुनाव को स्थगित करने में विफलता के कारण था।

जानकारी के मुताबिक, म्यांमार में पिछले कुछ समय से सरकार और सेना के बीच तनाव की खबरें आ रही थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। म्यांमार में अचानक से तख्तापलट की कार्रवाई पर अमेरिका ने उनके खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी है।

न्यूज एजेंसी एएफपी ने टीवी रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की को हिरासत में लेने के बाद देश में एक साल का आपातकाल घोषित कर दिया है। सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। सेना ने जनरल को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया गया है।  

दूसरी तरफ, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन पेस्की ने कहा, ‘‘अमेरिका को इस बात की जानकारी मिली है कि म्यांमार की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और अन्य अधिकारियों को हिरासत में लेने समेत देश की लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया को कमजोर करने के लिए कदम उठाए हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा राष्ट्रपति बाइडेन को जानकारी दी गई है।’’

उन्होंने कहा कि हम बर्मा (म्यांमार) की लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ मजबूती से खड़े हैं और अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संपर्क में हैं। हम सेना और अन्य सभी दलों से लोकतांत्रिक मानदंडों और कानून का पालन करने तथा हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने का आग्रह करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा  िकइस कदम को वापस नहीं लिया गया तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

1962 में शुरू हुए पांच दशकों के सैन्य शासन और अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बाद हाल के वर्षों में लोकतंत्र की ओर म्यांमार की ओर से आंशिक रूप से महत्वपूर्ण प्रगति के कारण यह बदलाव एक तेज उलटफेर है। यह सू की के लिए सत्ता से भी चौंकाने वाला पतन होगा, जिन्होंने लोकतंत्र के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया था। घर में नजरबंदी के बावजूद और उसके प्रयासों के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला।

(With agency input)

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