कोलंबो: श्रीलंका (Sri Lanka) में सियासी और अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच शुक्रवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है। जब तक संसद में गोटाबाया राजपक्षे के बाद नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता है तब तक वह अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे।
बता दें कि देश का दिवाला निकलने के बाद जनता के भारी विरोध को देखते हुए गोटाबाया ने इस्तीफा दिया है और वह देश छोड़कर चले गए हैं।
73 साल के विक्रमसिंघे ने पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्दना ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि राजपक्षे ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बताया कि 20 जुलाई को संसद का सत्र बुलाया जाएगा और फिर नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा।
उन्होंने कहा कि 19 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन होगा। आधिकारिक रूप से इस पद पर चुनाव की घोषणा शनिवार को कर दी जाएगी और संसद के संभी सदस्यों को औपचारिक जानकारी दे दी जाएगी।
स्पीकर ने कहा कि संविधान के अनुसार विक्रमसिंघे राष्ट्रपति की तरह ही कार्य करेंगे और कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। जब तक कि संवैधानिक तरीके से नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता उनके पास राष्ट्रपति के सारे अधिकार होंगे।
सिंगापुर पहुंच भेजा राष्ट्रपति पद से इस्तीफा
बता दें कि राजपक्षे ने पहले 13 जुलाई को इस्तीफा देने का ऐलान किया था लेकिन फिर वह बिना इस्तीफा दिए ही मालदीव चले गए। वहां से वह सिंगापुर चले गए। राजपक्षे श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति थे जो कि सेना के अधिकारी रह चुके थे। गुरुवार रात उन्होंने सिंगापुर से ही अपना इस्तीफा ईमेल के जरिए स्पीकर को भेजा था।
प्रदर्शनकारी घुसे आवास में तो भागे राष्ट्रपति राजपक्षे
राजपक्षे के पर इस्तीफे का दबाल लंबे समय से था, लेकिन जब बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी उनके आधिकारिक आवास में घुस गए तो उन्हें वहां से भागना पड़ा और बाद में इस्तीफा भी देना पड़ा। श्रीलंका के संविधान के मुताबिक अगर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों इस्तीफा दे देते हैं तो स्पीकर कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में ज्यादा से ज्यादा 30 दिन तक कार्य कर सकते हैं।