विदेश

चीन ने सीमा समझौतों का सम्मान नहीं कियाः विदेश मंत्री जयशंकर

नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चीन ने सीमा मुद्दे पर द्विपक्षीय समझौतों का पालन नहीं किया है, इसने चीन के साथ भारत के संबंधों की नींव को बिगाड़ दिया है। मॉस्को में बोलते हुए, जहां वह शुक्रवार को अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत करेंगे, जयशंकर ने कहा […]

नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चीन ने सीमा मुद्दे पर द्विपक्षीय समझौतों का पालन नहीं किया है, इसने चीन के साथ भारत के संबंधों की नींव को बिगाड़ दिया है। मॉस्को में बोलते हुए, जहां वह शुक्रवार को अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत करेंगे, जयशंकर ने कहा कि पिछले एक साल से, भारत-चीन रिश्तों को लेकर बहुत चिंता थी क्योंकि चीन ने पिछले समझौतों पर ध्यान नहीं दिया।

जयशंकर ने कहा, “45 वर्षों के बाद, हमारे पास वास्तव में हताहतों के साथ सीमा पर एक घटना थी और सीमा पर शांति, किसी भी देश के लिए, एक पड़ोसी के साथ संबंधों की नींव है। तो स्वाभाविक रूप से नींव (एसआईसी) खराब हो गई है। भारत और चीन पिछले साल एलएसी गतिरोध को हल करने के लिए मास्को में 5 सूत्री सहमति पर पहुंचे थे। हालांकि भारत के बार-बार यह कहने के बावजूद कि संबंधों के समग्र विकास के लिए जल्दी और पूर्ण विघटन आवश्यक है, जबकि चीन विघटन की प्रक्रिया पूरी तरह से दूर है। जयशंकर ने हालांकि कहा कि भारत और चीन के बीच परमाणु हथियारों की कोई होड़ नहीं है।

शुक्रवार को लावरोव के साथ बातचीत में दोनों देशों के अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आगामी शिखर वार्ता पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।

रूस के साथ संबंधों पर बोलते हुए, एक समय में कई लोगों का मानना है कि भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों और मॉस्को के पाकिस्तान के करीब जाने से संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस के समकालीन संबंधों के मूल में बहु-धु्रवीयता का आलिंगन है और वह बहु-धु्रवीय दुनिया का संचालन सिद्धांत विशिष्टता की तलाश के बिना लचीलेपन की वैध खोज थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी समझना चाहिए कि जमीन पर एक बहु-धु्रवीय एल्गोरिदम का अनुवाद करना आसान नहीं है, यह जितना लगता है उससे कहीं अधिक कठिन है।’’ उन्होंने कहा कि विकल्पों को चैड़ा करते हुए भी एक महत्वपूर्ण चिंता एक महत्वपूर्ण के हितों के प्रति लगातार संवेदनशीलता सुनिश्चित करना है। यहां तक कि जब रूस ने इंडो-पैसिफिक को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस की पहल पर एक साथ काम करने की क्षमता आसियान की केंद्रीयता में उनके साझा विश्वास से सुगम है।

जयशंकर ने कहा, “राजनीतिक मोर्चे पर, भारत और रूस के लिए दुनिया की स्थिरता और विविधता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना आवश्यक है। इसमें समझौतों का सम्मान करने और कानूनों का पालन करने पर जोर शामिल है। आर्थिक पक्ष पर, लचीला और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्व पर एक बढ़ती हुई अनुभूति है। हमारा सहयोग निश्चित रूप से दुनिया के सामने विकल्पों को जोड़ सकता है, जैसा कि हम कोरोना वैक्सीन के मामले में पहले ही देख चुके हैं।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Comment here