हमें यह ध्यान आया कि आप सबको सतर्क कर दें। लोग पूजा के लिए घी खरीदने जाने पर माँगते हैं।
“भइया, पूजा वाला घी देना!”
ये पूजा वाला घी क्या होता है भई?
आप जैसे अनजान और नादान लोगों को पता होना चाहिए कि यह कैसा घी होता जिसे लोग पूजा जैसे पवित्र कार्य के लिए उपयोग किया जाता है । लोग ऐसे घी इसलिए लेते हैं क्योंकि ऐसा घी सस्ते दामों में मिलता है। बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि यह कैसी भक्ति भाव है भाई के अपने खाने के लिए महगा किन्तु पूजा जैसे पवित्र कार्य के लिए सस्ता घी।
आप नौ दिन व्रत रहकर अपने आराध्य को घी के नाम पर पता नही किस चीज तरह की चर्बी अर्पित करना चाहते हैं? बताइये??
घी जलाते ही क्यों हैं पूजा, यज्ञ, हवन आदि में?? इसका कारण कभी सोचे??
शुद्ध घी को यदि जलाएंगे तो उसका धुआँ जहाँ जहाँ जाएगा, वहाँ वहाँ की वायु को शुद्ध करता जाएगा। यह सारे हानिकारक बैक्टीरिया, कीटाणु आदि को मार देता है। इसीलिए हमारे वैज्ञानिक ऋषि मुनियों ने इसको पूजा पाठ आदि के साथ जोड़ा था।
अब जरा आप सोचिये! कि केवल सस्ते के लालच में आप सड़ी गली वसा को पूजा, यज्ञ, हवन आदि के नाम पर अपने घर में जला रहे हैं। इससे कीटाणु मरेंगे?? या और बुरी तरह फैलेंगे??
और, यह सारा धंधा भी मलेच्छों का ही है। अब सोचिये कि वो आपके धर्म का सर्वनाश करने के लिए उस ‘पूजा वाला घी’ में और क्या क्या मिलाते होंगे। मतलब कि खुद के घर को जानवरों के श्मशान की दुर्गन्ध से भर भी लो, अपने छोटे छोटे बच्चों तथा बुजुर्गों के शरीर के भीतर बीमारी के कीटाणु भी भर दो, और साथ के साथ मलेच्छों का यह घी खरीद कर उन्हें और धनवान हैवान भी बनाओ।
अच्छा है न?
खाने वाला शुद्ध घी ही जलाने में आप कितने गरीब हो जाएंगे भाई? कितना कुन्तल घी आप जला देते हैं?
चुनाव आपका है, मर्जी है आपकी