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Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद की जयंती क्यों मनाई जाता है ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में?

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की अध्ययन में काफी रुचि थी। इसके बावजूद गुरु रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) से प्रभावित होकर नरेंद्र नाथ (Narendra Nath) में सांसारिक मोह माया को त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया और स्वाध्याय के साथ धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य के ज्ञाता बने और युवाओं का प्रेरणा स्रोत […]

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की अध्ययन में काफी रुचि थी। इसके बावजूद गुरु रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) से प्रभावित होकर नरेंद्र नाथ (Narendra Nath) में सांसारिक मोह माया को त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया और स्वाध्याय के साथ धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य के ज्ञाता बने और युवाओं का प्रेरणा स्रोत कहलाए।

महान दार्शनिक (Philosophical) और आध्यात्मिक (Spiritual) नेता स्वामी विवेकानंद की जयंती (Swami Vivekananda Jayanti) का सम्मान करने के लिए भारत में हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (Rashtriya Yuva Diwas) मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के विचार हमारे राष्ट्र के लिए एक प्रेरक शक्ति रहे हैं क्योंकि उन्होंने देश और समाज को एक नई और विकासशील दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह युवा शक्ति के विश्वासी थे और श्री रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) के प्रबल शिष्य थे। देश के महानतम सामाजिक नेताओं के रूप में पहचाने जाने वाले स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ और इनकी मृत्यु बेलूर मठ हावड़ा मे 1912 में हुई।

हिंदू धर्म और अध्यात्म की आधुनिक और प्रेरक व्याख्या देने में स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का महत्वपूर्ण योगदान है। वे युवाओं के प्रेरणा स्रोत थे और इसलिए उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

राष्ट्रीय युवा दिवस 2022 (National Youth Day 2022): इतिहास और महत्व
1985 में, भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में घोषित किया। भारतीय हिंदू भिक्षु स्वामी विवेकानंद एक महान विचारक, दार्शनिक और एक समाज सुधारक थे। यही कारण है कि स्वामी विवेकानंद की जयंती को पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। विवेकानंद का जीवन और व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणा के समान है। उनका दृढ़ विश्वास था कि युवा अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से भारत के भाग्य को बदल सकते हैं।

युवाओं के लिए उनका संदेश था, “मैं जो चाहता हूं वह लोहे की मांसपेशियां और स्टील की नसें हैं, जिसके अंदर उसी सामग्री का दिमाग रहता है जिससे वज्र बनता है।“

हिंदू धर्म और अध्यात्म की आधुनिक और प्रेरक व्याख्या देने में स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का महत्वपूर्ण योगदान है। उनका जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ था। उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता उच्च न्यायालय में एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।

उनकी जयंती पर, हम स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों और शिक्षाओं को देखते हैं जो अभी भी सभी को एक सार्थक जीवन की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करते हैं।

– वह सब कुछ सीखें जो दूसरों से अच्छा है, लेकिन इसे अंदर लाएं और अपने तरीके से इसे सोखें; दूसरे मत बनो

– उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए

-अनुभव ही हमारे पास एकमात्र शिक्षक है। हम जीवन भर बात और तर्क कर सकते हैं, लेकिन हम सत्य के एक शब्द को नहीं समझेंगे

– न पैसा देता है, न नाम, न शोहरत, न सीख; यह चरित्र ही है जो कठिनाइयों की अडिग दीवारों से अलग हो जाता है

– हम वही हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है; इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं; वे दूर यात्रा करते हैं।

यह आलेख उन युवाओं को समर्पित है जो भारत के नव निर्माण, राष्ट्रभक्ति, बेहतर भविष्य और स्वस्थ भारत मे भागीदारी रखते हैं। 1985 ईस्वी में पांडुचेरी ऑन ग्राउंड मे प्रथम राष्ट्रीय युवा महासम्मेलन का आयोजन किया गया और 12 जनवरी को भारत सरकार राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में घोषित किया।

शिकागो में स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के अभूतपूर्व भाषण संपूर्ण विश्व को अभिभूत कर दिया और वह युवाओं के प्रेरणास्रोत बने।