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Pitru-Paksha: पितृ पक्ष में कौवे को क्यों खिलाया जाता हैं? जानिए कथा

क्या आपको पता है कि ये काकभुशुण्डि कौन थे? कौवे के रूप मे दिखने वाले काकभुशुण्डि प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े भक्त थे। इन्हे ये वरदान प्राप्त था कि वो समय के बाहर जा सकते थे। यानि कि पूर्व मे क्या घटित हुआ और भविष्य मे क्या घटित होगा, वो सब देख सकते थे। वो समय के बनने बिगडने के चक्र को देख सकते थे।

क्या आपको पता है कि ये काकभुशुण्डि कौन थे? कौवे के रूप मे दिखने वाले काकभुशुण्डि प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े भक्त थे। इन्हे ये वरदान प्राप्त था कि वो समय के बाहर जा सकते थे। यानि कि पूर्व मे क्या घटित हुआ और भविष्य मे क्या घटित होगा, वो सब देख सकते थे। वो समय के बनने बिगडने के चक्र को देख सकते थे।

इसलिए उन्होंने महाभारत 11 बार और रामायण 16 बार देखा था, वो भी बाल्मिकि जी द्वारा रामायण और वेदव्यास जी द्वारा महाभारत लिखे जाने से पहले। चूंकि ये अपने पूर्व जन्म में कौवा थे। और सबसे पहले राम कथा भगवान शंकर ने माता पार्वती जी को सुनाया था तो इन्होने भी सुन लिया था और मरने के बाद दूसरा जन्म इनका अयोध्यापुरी मे एक शूद्र परिवार में हुआ था। ये परम शिव भक्त थे लेकिन अभिमान वश अन्य देवताओं का उपहास उडाते थे। इसी बात से क्षुब्ध होकर लोमष ऋषि ने इन्हे शाप दे दिया था, जिससे ये फिर कौवा बन गये थे। इसके बाद इन्होने पूरा जीवन कौवे के रूप मे ही जिया।

जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम से युद्ध करते हुए भगवान श्रीराम को नागपाश से बांध दिया था तब देवर्षि नारद के कहने पर गिद्धराज गरूड़ ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर भगवान श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया था।

भगवान श्रीराम के इस तरह नागपाश में बंध जाने पर श्रीराम के भगवान होने पर गरूड़ को संदेह हो गया। गरूड़ का संदेह दूर करने के लिए देवर्षि नारद उन्हें ब्रह्माजी के पास भेज देते हैं। ब्रह्माजी उनको शंकरजी के पास भेज देते हैं। भगवान शंकर ने भी गरूड़ को उनका संदेह मिटाने के लिए काकभुशुण्डि जी के पास भेज दिया।

अंत में काकभुशुण्डि जी ने भगवान श्रीराम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरूड़ के संदेह को दूर किया था। इसीलिए हिंदू लोग श्राद्ध पक्ष मे कौवे के रूप में काकभुशुण्डि जी को भोजन कराते है ताकि वो भोजन हमारे पूर्व के पितरों तक पहुंच सके।

आज विडंबना ये है कि बिना पढे और जाने-समझे कुछ हमारे हिंदू भाई भी इन चीजों केस मजाक उडाते है जबकि हिंदू धर्म में बिना कारण के कुछ भी नही है।