Raksha Bandhan 2022: धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी। आइए जानें रक्षाबंधन की पौराणिक कथा।
रक्षाबंधन पौराणिक कथा
धार्मिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।
तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।
भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए।
Raksha Bandhan 2022: रक्षा बंधन की तिथि पर संशय, जानें कब बांधी जाए राखी?
नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं।
राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई-बहन का पावन त्यौहार मनाया जाता है।
द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कटी उंगली पर साड़ी फाड़ कर बांधी थी
एक अन्य कथा के अनुसार महाभारत में शिशुपाल का गर्दन सुदर्शन चक्र से काटने के दौरान भगवान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गई थी। यह देखते ही द्रौपदी श्री कृष्ण जी के पास दौड़कर पहुंची और अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांध दी।
इस दिन श्रावण पूर्णिमा थी। तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी से रक्षा का वादा किया था। चीर हरण के समय द्वारकाधीश ने द्रौपदी की रक्षा की थी।