कृष्ण पक्ष चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और भक्त प्रत्येक कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी का उपवास करते हैं। हालांकि माघ महीने के दौरान कृष्ण पक्ष चतुर्थी को ‘सकट चौथ’ के रूप में भी मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। सकट चौथ पर सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। सकट चौथ साक्षात देवी को समर्पित है और महिलाएं अपने पुत्रों की भलाई के लिए उसी दिन उपवास रखती हैं। सकट चौथ की कथा देवी साक्षात के दयालु स्वभाव का वर्णन करती है। सकट चौथ को वक्रा-टुंडी चतुर्थी, माघी चौथ, तिलकुट चौथ, संकटा चौथ, माघ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू धर्म में माघ महीने में पड़ने वाली चौथ को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। यह व्रत आज रखा जाएगा और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रतिया अपना व्रत खोल सकेंगी।
सकट चौथ व्रत शुभ मुहूर्त-
सकट चौथ व्रत तिथि- जनवरी 31, 2021 (रविवार)
सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – 20:40
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 31, 2021 को 20:24 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 01, 2021 को 18:24 बजे।
सकट चौथ का महत्व
अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए रखे जाने वाले इस व्रत को रखने से परिवार के कल्याण की हर कामना पूरी होती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान व परिवार की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय गणेश पूजन किया जाता है और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है।
सकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, सतयुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहा करता था एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया पर आंवा पका नहीं। बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा तो उसने कहा कि बच्चे की बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र को पकड़ कर सकट चैथ के दिन आंवा में डाल दिया। लेकिन बालक की माता ने उस दिन गणेश जी की पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला तो गणेश जी से प्रार्थना की। सवेरे कुम्हार ने देखा कि आंवा पक गया, लेकिन बालक जीवित और सुरक्षित था। डरकर उसने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया। राजा ने बालक की माता से इस चमत्कार का रहस्य पूछा तो उसने गणोश पूजा के विषय में बताया। तब राजा ने सकट चौथ की महिमा स्वीकार की तथा पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया। तबसे कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हरिणी माना जाता है।
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