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बिना सूंड वाले गणेश जी का इकलौता मंदिर, जहां चूहे पहुंचाते हैं संदेश

अनमोल कुमार देशभर में बहुत सारे गणेश मंदिर (Ganesha Mandir) मौजूद हैं और हर मंदिर में सूंड वाले गणेशजी (Ganesha with Trunk) की प्रतिमा स्थापित है। लेकिन एक ऐसा मंदिर भी हैं, जहां पर बिना सूंड के गणपति बप्पा (Ganpati Bappa without trunk) की प्रतिमा बाल रूप (Baal Roop) में स्थापित है। इस मंदिर की […]

अनमोल कुमार

देशभर में बहुत सारे गणेश मंदिर (Ganesha Mandir) मौजूद हैं और हर मंदिर में सूंड वाले गणेशजी (Ganesha with Trunk) की प्रतिमा स्थापित है। लेकिन एक ऐसा मंदिर भी हैं, जहां पर बिना सूंड के गणपति बप्पा (Ganpati Bappa without trunk) की प्रतिमा बाल रूप (Baal Roop) में स्थापित है। इस मंदिर की खास बात यह है, कि यहां मंदिर में विराजित पाषाण के दो मूषक (Two Mouses of Stone) है। जिनके कानों में मनोकामना कहने पर वे गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) तक पहुंचाते हैं और गणपति बप्पा मुराद पूरी कर देते हैं।

गणेश जी बालरूप में विराजमान
राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर (Jaipur) की नाहरगढ़ पहाड़ी (Nahargarh Hill) पर यह मंदिर स्थित है। जहां पर बिना सूंड वाले गणेश जी बालरूप में विराजमान है। इस मंदिर की स्थापना के पीछे कई रहस्य भी छुपे हुए हैं। कहा जाता है कि गणेश जी के आशीर्वाद से ही गुलाबी नगरी जयपुर (Pink City Jaipur) की नींव रखी गई थी।

209 वर्ष पुराना मंदिर
बताया जाता है कि यह मंदिर रियासतकालीन होकर लगभग 209 वर्ष पुराना है। जिसकी स्थापना यहां के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II) ने की थी। महाराज जयसिंह को गणेशजी ने स्वप्न दिया था। जिसके बाद उन्होंने यहां पर भगवान गणेश की बाल्य रूप में प्रतिमा विराजमान की थी। नाहरगढ़ की पहाड़ी पर महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने अश्वमेघ यज्ञ (Ashwamedha Aagya) करवा कर गणेशजी (Ganeshji) के बाल्य स्वरूप (Baal Roop) वाली प्रतिमा तांत्रिक विधि से स्थापित करवाई थी। इस मंदिर में गणेशजी के दो विग्रह है, जिनमे पहला विग्रह आंकड़े की जड़ का तथा दूसरा अश्वमेघ यज्ञ की भस्म से बना हुआ है।

महाराजा जयसिंह ने प्रतिमा की स्थापना इस तरह करवाई थी कि वे अपने महल इंद्र पैलेस (Mahal Indra Palace) से दूरबीन के माध्यम से प्रतिमा का ही सुबह दर्शन किया करते थे। आज भी दूरबीन के माध्यम से प्रतिमा के दर्शन किए जा सकते है।

पाषाण के दो मूषक
पहाड़ी पर बने बिना सूंड वाले भगवान गणेश (Bhagwan Ganesha) के इस मंदिर में पाषाण के दो मूषक (Two Mouses of Stone) स्थापित है। जो भक्त की मुराद भगवान तक पहुंचाते है। कहा जाता है कि इन मूषक के कान में अपनी इच्छाएं बताने से यह मूषक उन इच्छाओं को बाल रूप में विराजित भगवान गणेश तक पहुंचा देते है। जिसके बाद भक्तों द्वारा मांगी जाने वाली हर मुराद जल्द से जल्द पूरी हो जाती है।

प्रतिमा का फोटो लेने की मनाही
पूरे भारत में बिना सूंड वाले गणेशजी का यह मंदिर संभवतः एकमात्र मंदिर है। हर मंदिर में भगवान गणेश की सूंड होती है लेकिन इस मंदिर में भगवान गणेश की सूंड नही है। जिसे देख यहां आने वाला भक्त चकित हो जाता है। देश के अलावा अन्य देश से भी यहां दर्शन करने लोग पहुंचते है। गढ़ शैली में मंदिर बने होने के कारण इसका नाम गढ़ गणेश मंदिर है। मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों से उनके कैमरे बाहर ही रखवा लिए जाते है। क्योंकि इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा का फोटो लेना सख्त मना है। इतना ही नही मंदिर परिसर में भी किसी भी तरह का फोटो नहीं खींचने दिया जाता है।