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व्यंग्य: जनता ने खेला बहिष्कार का खेला!

ल्यो भइया जनता ने बहिष्कार बहिष्कार का अईसा खेला खेला है कि ई बॉलीवुड वाले सदमे में हैं। तमाम तो दूसरी नौकरी की तलाश में निकल लिए हैं। खान साहब एड़ी चोटी का जोर लगा दिए लेकिन जनता की ना का मतलब ना है।

ल्यो भइया जनता ने बहिष्कार बहिष्कार का अईसा खेला खेला है कि ई बॉलीवुड वाले सदमे में हैं। तमाम तो दूसरी नौकरी की तलाश में निकल लिए हैं। खान साहब एड़ी चोटी का जोर लगा दिए लेकिन जनता की ना का मतलब ना है।

चड्ढा साहब की चड्ढी अईसी फटी कि सरे बाजार इज्जत नीलाम हुई गई। आमिर चचा खुद तो डूबे ही हमाये अक्की भैया को भी लई डूबे। असल में खान चचा थोड़ा कंफ्यूजिया गये थे। बीच बीच में चड्ढा साहब से पीके भी बने हैं। जनता भी कंफ्यूजिया गई। तमाम तो सोचे कि टॉकीज वाले पीके लगा दिए हैं।

वैसे एक बात तो लिख के रख लीजिए । अभी तो ये साठ साला ही हुए हैं अस्सी साल के भी हुई जाये तो भी पिच्चर में हीरो यही बनेंगे । हीरोइन की उम्र इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती । मालूम पड़ता है कि आजकल खान साहब के ग्रह नक्षत्र कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं । पहिले ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान से जनता को ठगने की कोशिश किये अब वही काम चड्ढा साहब कर रहे हैं।

वैसे तो पॉलिटिक्स में भी जाने की सोचे थे लेकिन इनकी बीवी मल्लब तलाकशुदा बीवी को भारत में डर लगता है । ऐसे तो चचा जी इतना ही बोले थे कि पता नहीं कैसे हो हल्ला मच गया । बस जनता पकड़ ली । पिच्चर का ऐसा बहिष्कार किया कि अब औंधे मुँह पड़ी है।

उधर बिचारे अक्की भैया कोने में मुंह घुसाये पड़े हैं । बड़ी मेहनत से सम्राट बनाये थे उसने भी पानी नहीं माँगा । अब रक्षाबंधन भी न बनाएं । आखिर जनता चाहती क्या है । रिटायरमेंट ले लें बॉलीवुड वाले।

अब अक्की भैया की तो कउनो बात नहीं । दिवाली तक एक दुई और फ़िल्में आ ही जाएँगी लेकिन खान साहब काहो भूल ही जाएँ कि अगली पिच्चर भी करनी है।

तो भैया, दीदी आपको आज की झक्क पसन्द आयी हो तो फौरन मुस्कुराइये । चलते हैं…