थावे के लछवार स्थित दुर्गा मंदिर में आने वाले भक्तों की हर पीड़ा दूर हो जाती है। हर साल नवरात्र के मौके पर यहां स्थित दुर्गा मंदिर में दूर दराज से भक्त आते हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों को मां की असीम कृपा प्राप्त होने के साथ ही उनके दुख व रोग भी नष्ट हो जाते हैं।
यहीं कारण है कि एतिहासिक लछवार धाम को यहां प्रेत बाधा से मुक्ति का धाम भी कहते हैं।यहां लगने वाले भूतों का मेला में यूपी से लेकर नेपाल तक से भक्त मां का दर्शन करने आते हैं और असाध्य से असाध्य पीड़ा से मुक्ति पाकर अपने घरों को लौटते हैं। शारदीय नवरात्र में तो यहां अजब नजारा देखने को मिला। कहीं औरतें जोर-जोर से सिर हिला रही थी तो कहीं कोई महिला पेड़ पर झूल रही थी। ना कपड़ों की चिंता और ना ही आसपास खड़े लोगों का कोई असर।
संवेदनहीन दिख रही महिलाओं पर शायद भूतों का असर होता है। हर व्यक्ति अपने आप में मस्त। ऐसी मान्यता है कि यहां के मिट्टी के स्पर्श मात्र से प्रेतात्माएं शरीर छोड़ देते हैं। यहां के बाबा द्वारा दिया जाने वाला भभूत भी काफी महत्व रखता है। पूजा-पाठ करने व मिट्टी में लोटने तथा भभूत खाने से भूत से मुक्ति मिल जाती है। यह धारणा इतनी प्रचलित है कि आसपास के जिलों के अलावा यूपी व नेपाल से भी भारी संख्या में महिला, पुरुष व बच्चे लक्षवार धाम आते है।
लछवार मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि पूर्व में यह देवी स्थान गांव के पश्चिम दिशा में स्थापित था। लगभग सौ साल पूर्व नारायण टोला सिंहपुर निवासी बाबा कल्लू पाण्डेय को देवी ने दर्शन दिया। और कहा कि मेरे इस स्थान को गांव के पूरब दिशा में ले चलो। इसके बाद बाबा ने नारायणपुर पंडित टोला के पूरब (लक्षवार धाम) में देवी के स्थान को अपने ही जमीन में स्थापित किया और देवी का पिंड रख, एक कोठरी बनाकर रहने लगे।
इसी बीच लोग देवी स्थान के दर्शन के लिए इस स्थान पर आने लगे और कई असाध्य रोग व प्रेतात्माओं से मुक्ति मिलने लगी। यह बात धीरे-धीरे फैलती गयी। आज इस मंदिर में प्रत्येक दिन रोग और तथा प्रेत बाधा मुक्ति के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले लोग अपनी समस्याओं से मुक्त होकर ही वापस घर लौटते हैं।