प्राचीन विज्ञान में जैसे आयुर्वेद में नाभि (navel) को पाकवश्य/पक्वाशय (intestines) और अमाशय/आमाशय (stomach) के बीच मौजूद वाहिकाओं के लिए मूल स्रोत माना जाता है। ये पोषक मार्ग हैं जैसे कि भूमि के पोषण के लिए मनुष्य हजारों वर्षों से खांचे द्वारा जल सिंचाई कर रहे हैं, उसी तरह हमारे बर्तन हमारे शरीर के विभिन्न भागों में जीविका की बौछार के लिए चैनल के रूप में कार्य करते हैं। इसके गहन महत्व के कारण आयुर्वेद के लगभग सभी आचार्यों ने इसे तीन सर्वश्रेष्ठ मर्मों यानी हृदय, बस्ती और नाभि में शामिल किया है। आइये जानते हैं कि नाभि का हमारे शरीर में क्या महत्व है।
नाभि परमात्मा की अद्भुत देन
हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है। गर्भ की उत्पत्ति नाभि के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है। इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभि गर्म रहती है।
गर्भधारण के 9 महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभि के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है, इसलिए नाभि शरीर का एक अद्भुत भाग है।
नाभि के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है, जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती हैं।
नाभि का महत्त्व (importance of navel)
नाभि में गाय का शुद्ध घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।
आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय
सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुद्ध घी और नारियल के तेल की नाभि में डालें और नाभि के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैलाकर हल्के हाथ से मसाज दें। लगातार इस प्रक्रिया को करने से कुछ समय बाद इसके लाभ दिखने शुरू हो जायेंगे।
घुटने के दर्द में उपाय
सोने से पहले 3 से 7 बूंदे अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला दें और घुटने के दर्द से छुटकारा पाएं।
शरीर में कंपन्न तथा जोड़ों में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय
रात को सोने से पहले 3 से 7 बूंद सरसों के तेल नाभि में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला दें और आप जल्द ही देखेंगे कि आपको इसका फायदा मिल रहा है।
मुँह पर होने वाले मुहासों के लिए उपाय
3 से 7 बूंद नीम का तेल नाभि में उपरोक्त तरीके से लगायें और कील-मुहासों से छुटकारा पायें।
नाभि में तेल डालने का कारण
हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है, इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है और शरीर के उस हिस्से को फिर से काम करने योग्य बना देती है।
आपने सुना होगा जब छोटे बच्चे को जब पेट में दर्द होता है, तब हींग को पानी में मिलाकर या तेल का मिश्रण को उसकी नाभि में और उसके आसपास लगाने की सलाह हमारे बुजुर्ग देते हैं। इससे बच्चे का दर्द जोकि गैस के कारण या किसी और कारण से होता है, तुरंत गायब हो जाता हैं।