सतना शहर से करीब 15 किमीं. दूर रामपुर बाघेलन क्षेत्र के रामवन में मौजूद हनुमान की मूर्ति इन दिनों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। कहा जाता है कि ये शाश्वत है और हर साल इसकी ऊंचाई बढ़ जाती है। यही वजह है कि हजारों पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं।
शास्त्रों में रामवन, नाम सुनते ही प्रतीत होता है कि यहां भगवान राम की प्रतिमा या दर्शनीय स्थल होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। इस स्थान पर बजरंगबली की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है। इसलिए विंध्यभर में पर्यटन का केन्द्र है। कुछ ऐसे ही रोचक किस्से बता रही है। जो रामवन से जुड़ी है।
पर्यटन सर्किट से भी जुडऩे वाला है
विंध्य में रामवन नाम के स्थान में होने की वजह से इसे रामवन हनुमान मंदिर कहा जाता है। खजुराहो, पन्ना टाइगर रिर्जव, मैहर शारदा धाम, मुकुंदपुर टाइगर सफारी एनएच-7 और एनएच-75 के रास्ते आने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में इसे देखने के लिए यहां आते हैं। आने वाले कल में ये क्षेत्र पर्यटन सर्किट से भी जुडऩे वाला है।
64 एकड़ दान की जमीन में है स्थापित
कहा जाता है कि, बनारस निवासी व्यापारी बाबू शारदा प्रसाद ने सतना व्यापार करने के लिए आए थे। उन्होंने यहां एक गाडिय़ों की एजेंसी खोली। इसके बाद उन्होंने ही 64 एकड़ जमीन खरीदकर मूर्ति की स्थापना की। अब यहां तुलसी संग्रहालय 32 एकड़ और रामवन पर्यटन क्षेत्र 32 एकड़ में बसा है।
दूर से ही दिखती है ये मूर्ति
बताया गया कि ये प्रतिमा करीब 72 साल पुरानी बताई जाती है। वैसे तो मूर्ति को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं, लेकिन एक खास धारणा जिसकी वजह से ही लोग यहां दर्शनों के लिए आते हैं, वह ये है कि मूर्ति की ऊंचाई प्रतिवर्ष खुद-ब-खुद बढ़ जाती है। यही वजह है कि शहर के किसी भी कोने में खड़े होने पर यह बजरंगबली के दर्शन किए जा सकते हैं।
जानकारों ने बताया कि अभयमुद्रा की इस मूर्ति की पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। कहा जाता है कि रामवन में स्थापित ये मूर्ति भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद देती है। जो भी भक्त यहां आते है सदैव कल्याण होता है। बसंत पंचमी पर यहां पांच दिन का भव्य मेला लगता है। अब सतना जिला प्रशासन रामवन महोत्सव भी हर साल करा रही है।
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