बहुत नुकसान हो गया भैया। ये समझ लीजिए कि ओलंपिक में पूरे एक मेडल का नुकसान हो गया। औ मेडल भी ऐसा वैसा नहीं सीधे गोल्ड। एक नहीं बल्कि चार-चार। लॉन्ग जम्प, हाई जम्प, ट्रिपल जम्प सब में एकदम पक्का था । पता नहीं कउन ओलंपिक वाली टीम चुना है। इन मैडम को तो छोड़ ही दिया। अरे वही लखनऊ वाली मैडम जो कैब वाले की तसल्लीबख्श मरम्मत की हैं।
मल्लब क्या उछल-उछल के मारा है। देख के तबियत खुश हो गई। खड़े-खड़े जम्प लगा के जो थप्पड़ जड़ती हैं कि जम्प भी शर्मा जाये । इन्होंने पूरे रोड को कवर करते हुए घूम घूम के जो जम्पमार थप्पड़ लगाये कि दुनिया हिल गई। बड़े बुजुर्ग बता गये हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छिपते, लेकिन एक और चीज है जो छिपाये नहीं छिपती। नोट कर लीजिए वो है टैलेंट। मल्लब चाहे जितना कोशिश कर लीजिये, है तो निकलेगा जरूर। फिर चाहे वो बसपन के प्यार वाले सहदेव हों या फिर ये मैडम।
ये घटना न होती तो दुनिया ये अद्भुत टैलेंट देखने से वंचित रह जाती। तमाम तो ऐसे ही निकल भी लेते। लेकिन भैया उसका जीवन भी किस काम का जिसने इन मोहतरमा का टैलेंट न देखा। जीवन का असली सार तो यही हैं बाकी सब तो मोह माया है। यकीन मानिए वो लोग बहुतै खुशकिस्मत हैं जो इनकी थप्पड़बाजी लाइव देखे हैं। ऐसे टैलेंट को देखने का सौभाग्य तो सदियों में कुछ बिरले ही लोगों को नसीब हुआ करता है।
ये नारी सशक्तिकरण यानी women empowerment का जीता जागता उदाहरण है। टोक्यो ओलम्पिक में हमारी महिला खिलाड़ी मैदान में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा ही रही हैं इधर ये मैडम बीच चौराहे पर अपने टैलेंट का हथौड़ा पीट रही हैं।
बेचारा कैब वाला इतना सीधा कि बिना कुछ बोले चुपचाप मार खाता रहा। लेकिन मैडम ऐसे छोड़ने वालों में थोड़े हैं। गलती की है तो सजा मिलेगी। दो-दो तीन-तीन फीट तक उछल के थप्पड़ जड़ना कोई आसान काम थोड़े है, मेहनत लगती है। सालों प्रैक्टिस को होगी, खून पसीना बहाया होगा तब जाके ऐसा परफेक्शन आया है।
कैब वाला तो पिटा ही उसे जो बचाने आया वो भी मैडम के कोरोना वायरस से भी खतरनाक जम्पमार थप्पड़ों की चपेट में आ गया। खैर अब मामला पुलिस तक पहुंचा है तो गलत सही का पता शायद चल ही जाये।
Comment here
You must be logged in to post a comment.