Shardiya Navratri 2022: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरिय विश्वविद्यालय सिमराही बाजार के स्थानीय ओम शांति केंद्र एवं परमात्मा आत्मानुभूति संग्रहालय में सोमवार को नवरात्रि के प्रथम दिन (घटस्थापनामें) सत कर्मोंका खेती स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी बबीता दीदी इत्यादियो ने संगठित रूप मे कलश स्थापन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कलश स्थापन करते समय सभी ने अपने परिवार में एकता,अखंडता, सुख ,समृद्धि सदा बरकरार रखनेका दृढ़ संकल्प लिया।
आध्यात्मिक रहस्य
राजयोगिनी बबीता दीदी जी ने नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि नवरात्रि आते ही सभी लोग अपने घर के सफाई कर माँ दुर्गा की पूजा ,आजा ,आरती करते हैं ।सभी के मन में उस मां के पुकार होते हैं। उस मां को हर कोई याद करता, पूजा करता, आस रखता की मां हमारी हर मनोकामना पूर्ण करें। हर नवरात्रि में हम पूजा, आरती तो करते हैं। घरका सफाई भी करते हैं ।लेकिन इस नवरात्रि में कुछ स्पेशल करें मां के याद करें, उपवास करें साथ साथ आध्यात्मिक रीति से इस नवरात्रि के पावन पर्व को भी मनाए उपवास अर्थात ‘उप’ माना निकट और बास माना ‘रहना ‘अर्थात् परमात्मा के निकट रहना ।उस दिन हम अन्न का त्याग करते हैं माँ को खुश करने के लिये लेकिन मां तब खुश रहती है, जब उसके निकट बैठकर हम उससे बात करते। दूसरा दुर्गा अर्थात दुर्गुणों को दूर करने वाली, बुराइयों को दूर करने वाली, कमी कमजोरियों को दूर करने वाली। उन्होंने कहा अपने घर की सुख ,शांति को कायम रखना चाहते हैं तो अपने आप में परिवर्तन लाएं, एक दूसरे की गलतियों को माफ करें ।अपने घर की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए एक दूसरे को समझे ,एक दूसरे को रिस्पेक्ट करें ,प्यार से बात करें और मिलकर चले यही नवरात्रि की सभीको ढेर सारे शुभकामनायें ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दरोगा भूपेंद्र प्रताप सिंह ने अपने उदबोधन में कहा की भौतिक युग में स्थाई सुख, और शांति के लिए सत्संग का बहुत आवश्यक है। सत्संग के माध्यम से हमें इस संसार में किस तरह जीना है, क्या बात करनी है वह कहानी है ,आपस में कैसे व्यवहार करना है, इसका ज्ञान प्राप्त होता है। उन्होंने बताया सत्संग से प्राप्त दिव्य ज्ञान के द्वारा हम अपने व्यवहार में निखार ला कर एक सदगुणी इंसान बन सकते है।
उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। और अपने उदबोधन में कहा की ज्ञान की कमी के कारण वर्तमान समय मानव के अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह ,अहंकार, ईर्ष्या, नफरत आदि राक्षसी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। जिसके कारण समाज में दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं ।उन्होंने बताया अगर हमने अपनी भारतीय पुरानी सभ्यता ,संस्कृति, परंपराएं ,पूर्वजनों की संस्कार सत्संग के माध्यम से भलाई नहीं तो इस समाज में चलना ,रहना, बैठना ,उठना, जीना ,बड़ा ही मुश्किल महसूस होगा। उन्होंने जीवन में सत्संग का महत्व बताते हुए कहा कि सत्संग के द्वारा प्राप्त शक्तियां ,सद्गुण ,विवेक ही हमारी असली संपत्ति है। जिससे हम अपने कर्मों में सुधार ला सकते हैं।
मौके पर समाजसेवी प्रोफेसर बैजनाथ भगत, अरुण जयसवाल, सतीश कुमार, रामचंद्र जयसवाल, रिचा कुमारी ,परमेश्वरी सिंह यादव ,राम नारायण महतो, , वीरेंद्र भाई ,अनिल महतो ,इंद्र देव चौधरी, पप्पू भाई ,बेचू भाई, अशोक भाई, ब्रह्मदेव बाबू, किशोर भाई जी ,बबीता दीदी ,मुद्रिका बहन, शकुंतला देवी, चंद्रकला देवी ,रामा देवी इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।