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जानिये! करवाचौथ पूजा का शुभ मुहूर्त, कौन सा योग बना रहा है इस दिन को शुभ

करवाचौथ हर साल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं पूरे दिन निराजल उपवास रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल विवाहित जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। यह दिन, जो कार्तिक माह में पूर्णिमा के चौथे दिन आता है, भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का उत्सव […]

करवाचौथ हर साल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं पूरे दिन निराजल उपवास रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल विवाहित जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। यह दिन, जो कार्तिक माह में पूर्णिमा के चौथे दिन आता है, भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का उत्सव भी है। यह त्योहार देश के उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में बहुत महत्व रखता है। महिलाएं अपना उपवास तोड़ती हैं, जो सूर्याेदय से पहले शुरू होता है, एक बार शाम को चंद्रमा दिखाई देता है। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 24 नवंबर दिन रविवार को निर्धारित है।

विवाहित महिलाओं के द्वारा पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जानेवाला महापर्व करवा चौथ इस बार कई अच्छे संयोग में आ रहा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को पड़ रही है। खास बात यह है कि पांच साल बाद फिर इस करवा चौथ पर शुभ योग बन रहा है। करवा चौथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र में पूजन होगा तो वहीं रविवार का दिन होने की वजह से भी व्रती महिलाओं को सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा। खास तौर पर सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ अखंड सौभाग्य देने वाला होगा। करवा चौथ के दिन मां पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय एवं गणेश सहित शिव परिवार का पूजन किया जाता है। मां पार्वती से सुहागिनें अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस दिन करवे में जल भरकर कथा सुनी जाती है। महिलाएं सुबह सूर्याेदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं।

पूजा विधि
सूर्याेदय से पहले स्नान कर व्रत रखने का संकल्प लें। फल, मिठाई, सेवईं व पूड़ी की सरगी ले व्रत शुरू करें। 
भगवान शिव के परिवार की पूजा करें। भगवान गणेश जी को पीले फूलों की माला और लड्डू का भोग लगाएं। शिव पार्वती को बेलपत्र व शृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। 
मिट्टी के करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। पीतल के करवे में पूड़ी व मिठाई रखें। ढक्कन पर चावल रखकर दीपक जलाएं। 
पूजा अर्चना कर करवाचौथ की कथा सुनें। चंद्रमा को अर्घ्य दे परिक्रमा करें।  

इन तीन स्थितियों में न रखें व्रत

डायबिटीज की स्थिति में
लोगों की बदलती जीवनशैली ने उन्हें बीमारियों के घेरे में ला कर खड़ा कर दिया. पहले जो बीमारियां बुजुर्गों के सुनने में आया करती थीं, वे अब जावान लोगों में आम बात हो गई है. ऐसे में बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं, जो डायबिटीज की रोगी हैं. ऐसे में लंबे समय तक भूखे और प्यासे रहकर व्रत रखना उनके लिए ठीक नहीं. अगर वे ऐसा करती हैं तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं. लंबे समय तक भूखे रहने से ब्लड शुगर का स्तर घट या बढ़ सकता है, जिससे हाइपोग्लाइसेमिया या हाइपरग्लाइसेमिया का खतरा हो सकता है. वैसे तो डायबिटीज रोगी को करवा चौथ का व्रत नहीं रखना चाहिए. अगर आप रखना चाहती हैं कि अपने डॉक्टर की सलाह से ही रखें. 

गर्भावती महिलाएं
गर्भवती महिला के शरीर को ज्यादा पोषण की जरूरत होती है. ऐसे में करवा चौथ का व्रत रखने से महिला और बच्चे ​दोनों के लिए समस्या पैदा हो सकती है. कहते हैं कि पहली और तीसरी तिमाही में व्रत रखना ज्यादा खतरनाक होता है. लेकिन सब कुछ ठीक रहे, तो विशेषज्ञ दूसरी तिमाही में कुछ निर्देशों के साथ व्रत रखने की अनुमति दे सकते हैं. ऐसे में विशेषज्ञ के निर्देशों का कड़ाई से पालन करें.

ब्लड प्रेशर से पीड़ित महिलाएं
कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर असंतुलित होने के कारण घटता-बढ़ता रहता है. ऐसे लोगों को भी करवाचौथ का व्रत न रखने को कहा जाता है. लंबे समय तक भूखे रहने से ऐसी महिलाओं के ब्लड प्रेशर के स्तर में उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि बीपी खानपान और दवाओं के भरोसे ही नियंत्रित रहता है. इसलिए बीपी पीड़ित महिलाएं व्रत न करें और अगर रखना ही है तो खाती पीती रहें. 

पूजा समय
शाम 6.55 से रात 8.51
पूजा का मुहूर्त 
8.11 बजे होगा चंद्रोदय होगा
6.55 सुबह से 8.11 रात तक व्रत  

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