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इस मंद‍िर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में 3 बार बदलती हैं रंग, भक्‍त कभी नहीं जाते खाली हाथ

अनमोल कुमार देश में चमत्‍कारी मंद‍िरों की लंबी श्रृंखला है। कहीं तंत्र साधना होती है तो कहीं मूर्तियों के रंग बदलते हैं। कहीं द‍िन व‍िशेष पर मां की मूर्ति का आकार बदल जाता है तो कहीं त‍िथ‍ि व‍िशेष पर मंद‍िर की प्रत‍िमा गर्भगृह से बाहर आ जाती है। ऐसे ही एक मंद‍िर के बारे में […]

अनमोल कुमार

देश में चमत्‍कारी मंद‍िरों की लंबी श्रृंखला है। कहीं तंत्र साधना होती है तो कहीं मूर्तियों के रंग बदलते हैं। कहीं द‍िन व‍िशेष पर मां की मूर्ति का आकार बदल जाता है तो कहीं त‍िथ‍ि व‍िशेष पर मंद‍िर की प्रत‍िमा गर्भगृह से बाहर आ जाती है। ऐसे ही एक मंद‍िर के बारे में हम यहां बता रहे हैं। यह मंद‍िर व‍िष्‍णुप्र‍िया मां लक्ष्‍मी का है। तो आइए जानते हैं इस अनोखे मंद‍िर बारे में, जहां स्‍थाप‍ित देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति का रंग बदलता है? साथ ही इस मंद‍िर से जुड़े अन्‍य रहस्य।

हम ज‍िस मंद‍िर की बात कर रहे हैं देवी लक्ष्‍मी का वह मंद‍िर जबलपुर में स्थित है। इसे पचमठा के नाम से जाना जाता है। मंद‍िर का निर्माण 1100 साल पहले गोंडवाना शासन की रानी दुर्गावती के खास सेवादार रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। इस मंदिर में मां लक्ष्मी के साथ अन्‍य देवी-देवताओं की भी मूर्ति स्‍थाप‍ित है।

तंत्र साधना के लि‍ए भी यह मंदिर है प्रसिद्ध
पचमठा मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है। मान्‍यता है कि मंद‍िर परिसर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है। सभी को यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंद‍िर में स्‍थापित मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। कुछ लोग केवल इसका अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। दर्शनार्थियों के अनुसार प्रात: काल में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।

मां के चरणों पर पड़ती है सूरज की पहली क‍िरण
मंद‍िर में प्रत‍िमा का रंग बदलना ही हैरान नहीं करता है। बल्कि यहां पड़ने वाली सूरज की पहली क‍िरण देवी लक्ष्‍मी के चरणों पर पड़ती है। दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की मानें तो यूं लगता है जैसे सूर्य देवता भी मां लक्ष्‍मी को प्रणाम करने आते हैं। मान्‍यता है क‍ि मां के इस मंदिर में आने वाले भक्‍त कभी खाली हाथ नहीं जाते।