गूलर (Sycamore) की लकड़ी पानी में बहुत टिकाऊ होती है। इसीलिए कुएँ की तलहटी में गोल चक्र बनाकर डालते हैं। इसी के ऊपर ईंट की गोल दीवार बनाते हैं। इसकी लकड़ी से नाव भी बनायी जाती है। गूलर के फलों में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होती है।
पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर और आम ये पांच तरह के पेड़ धार्मिक रूप से बेहद महत्व रखते हैं क्योंकि ये अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जन करते हैं। ये पेड़ मनुष्य के जीवन के लिये विभिन्न रूप से लाभकारी हैं।
गूलर (Sycamore) का महत्व (Importance of Sycamore)
गूलर के पेड़ का महत्व पूजा-पाठ, शादी-विवाह और आयुर्वेद के लिये काफी मायने रखता है। शादी के दौरान गूलर के पेड़ की लकड़ियों और पत्तियों से विवाह के लिये मंडप तैयार किया जाता है। गूलर के पेड़ की लकड़ी से बने पाटे (पीढ़ा) पर बैठकर दूल्हा-दुल्हन की वैवाहिक रस्में संपन्न होती हैं।
इनकी लकड़ियों को छोटे-छोटे टुकड़े कर हवन कुंड में डाले जाते हैं और फिर हवन की आहुति होती है।
गूलर को संस्कृत में उदुम्बर, बांग्ला में हुमुर, मराठी में औदुंबर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में ‘अंजीरे आदम’ कहते हैं।
इस पर फूल नहीं आते। इसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है।
इस पेड़ के फल भालू के पसंदीदा भोजन में से एक हैं, जिसे वे बड़े ही चाव के साथ खाते हैं। इस दुर्लभ पेड़ की पहचान थोड़ी मुश्किल है। लेकिन इसके फल से आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं। इसके फलों को तोड़ने पर इसके अंदर छोटे-छोटे कीड़े निकलते हैं।
इस वृक्ष के फल, पत्ते, जड़ आदि से अनेक रोगों का इलाज होता है।
गूलर का पेड़ औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
गूलर में फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं।
गूलर का उपयोग मांसपेशीय दर्द, मुंह के स्वस्थ्य में, फोड़े ठीक करने में, घाव भरने, बवासीर के इलाज आदि में किया जाता है।
गूलर में एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-अल्सर, एंटी-डायरियल और एंटी-पायरेरिक गुण होते हैं।
इसके फलों के रस का उपयोग कर हिचकी का इलाज किया जाता है।
गूलर के फलों और पत्तियों से निकाले गये रस में अल्सर को ठीक करने वाले गुण होते हैं।
हृदय की अनियमित धड़कनों को नियंत्रित करने के लिये मैग्नीशियम बहुत ही लाभकारी होता है। अनियमित धड़कन मांसपेशीय तनाव और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण हो सकती हैं। मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा गूलर के फलों में मौजूद रहती है। जो इन सभी लक्षणों को दूर करने साथ-साथ आपके पाचन को भी ठीक रखता है।
मैग्नीशियम का उचित मात्रा में सेवन कर आप ऐंठन, उल्टी, पेट दर्द, पेट फूलना और कब्ज जैसी समस्याओं को रोक सकते हैं।शरीर में मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिये विकल्प के रूप गूलर का उपयोग किया जाता है।
रक्तशर्करा लिये आप गूलर के पेड़ की छाल का काढ़ा उपयोग कर सकते हैं। गूलर की छाल रक्त शर्करा को कम करने में फायदेमंद हो सकता है।
हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिये कॉपर आवश्यक होता है। कॉपर हमें संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है साथ ही यह घावों के उपचार में भी मदद करता है। गूलर के वृक्ष में कॉपर अच्छी मात्रा में होता है जो एनिमिया से बचाने में हमारी मदद करता है।
गूलर की लकड़ी पानी में बहुत टिकाऊ होती है, इसलिए कुएँ की तलहटी में गोल चक़्र बनाकर डालते हैं। इसी के ऊपर ईंट की गोल दीवार बनाते हैं। इसकी लकड़ी से नाव भी बनाई जाती है।