नई दिल्लीः आजकल देश में ऑनलाइन शाॅपिंग फ्राॅड के मामले बढ़ते ही जा रहे है। हालांकि इन ठगों को पकड़ने के लिए पुलिस ने अलग से साइबर क्राइम सेल भी बना रखे हैं, लेकिन फिर भी ऑनलाइन ठगी के मामले कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। चूंकि अब ऑनलाइन खरीद-फरोख्त का सिलसिला काफी बढ़ गया है, इसलिए बहुत से शातिर इस काम में लग गए हैं। ऑनलाइन फ्राॅड के लिए पहले घोटालेबाज अपने शिकार को टारगेट करते हैं और उसे अपनी मीठी-मीठी बातों में उलझाते हैं। यहां तक कि अपने शिकार का विश्वास हासिल करने के लिए उसके अकाउंट में कुछ पैसे भी ट्रांसफर कर देते हैं। कुछ धोखेबाज फोन कर आपको बतायेंगे कि वो फलां बैंक से बोल रहे हैं और आपके डेबिट या क्रेडिट कार्ड या अकाउंट में कुछ न कुछ प्रोब्लम बताकर आपसे आपकी डिटेल जानने की कोशिश करते हैं। अगर आप उनकी बातों में फंस गये तो समझो आपका नुकसान हुआ। इसलिए जरूरत है ऑनलाइन उपभोक्ता को जागरूक होने की। आज हम बता रहे हैं कि ये घोटालेबाज कैसे काम करते हैं और कैसे इनसे बचा जा सकता है।
कहां-कहां हो सकती है ठगी?
बैंक खातों की जांच के नाम पर ठगी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बैंक खातों की जांच आपको समय-समय पर करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए।
नौकरी के नाम पर फ्रॉड
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है।
शादी की वेबसाइट पर ठगी
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है। चैटिंग के जरिए फ्राड करने वाले आपके बैंक खाते से जुड़ी जानकारियां मांगते हैं। ऐसे में बैंक खाते से रकम उड़ा ली जाती है।
व्हाट्सऐप कॉल फर्जीवाड़ा
अगर व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉइस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है। इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है।
UPI के जरिए ठगी
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं। यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं। इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए।
QR Code से धोखाधड़ी
क्विक रिस्पांस कोड (QR) के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं। इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं।
लॉटरी, पेट्रोल पंप डीलरशिप के नाम पर ऑनलाइन ठगी
साइबर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बीते दिनों टीवी प्रोग्राम कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर लाखों रुपये की लॉटरी निकालने का झांसा देकर कई लोगों के साथ ऑनलाइन ठगी हुई है। वहीं, पिछले साल, देश की सबसे बड़ी ऑयल मार्केंटिंग कंपनी IOC ने अपनी वेबसाइट पर पेट्रोलपंप की डीलरशिप के नाम पर धोखाधड़ी से जुड़ी जानकारी दी थी।
ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं। गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं। जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है।
रिवॉर्ड पाइंट के नाम पर ठगी
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने हाल में अपने ग्राहकों को अलर्ट जारी करते हुए बताया है कि रिवॉर्ड पाइंट के नाम पर फ्रॉड करने वाले SMS भेजते हैं। उन एसएमएस में बैंक खाते से जुड़ी जानकारियां मांगी जाती है और जैसे ही जानकारी उनके पास पहुंचती है। वैसे ही खाते से पैसे उड़ा लिए जाते हैं।
जानिए फ्रॉड से बचने के लिए बेहतरीन टिप्सः
लिखें नहीं याद रखें पासवर्ड
आपको नेट बैंकिंग पासवर्ड याद कर लेना चाहिए। इसे किसी को भी न बताएं। न ही इसे कहीं लिखकर रखें। नेट बैंकिंग का इस्तेमाल हमेशा अपने कंप्यूटर पर सिक्योर नेटवर्क से करना चाहिए।
पेमेंट से पहले चेक करें वेबसाइट कितनी सेफ
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय साइट के सुरक्षित होने का संकेत भी देख लें, जैसे- ब्राउजर स्टेटस बार पर लॉक आइकॉन या 'https' यूआरएल, जहां ‘एस’ उसके सुरक्षित होने की पहचान है। पब्लिक कंप्यूटर या असुरक्षित नेटवर्क से इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करना समझदारी नहीं है. कंप्यूटर की बोर्ड की जगह डिजिटल की बोर्ड का उपयोग करना बेहतर है।
बैंक में अपडेट कराएं अपना मोबाइल नंबर
अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली संस्था को अपनी पूरी जानकारी देनी चाहिए। मतलब साफ है कि एड्रेस, मोबाइल नंबर जरूर बताना चाहिए। साथ ही, नंबर बदलने पर बैंक को इसकी जानकारी भी तुरंत दें। इससे बैंक या आपके खाते में किसी भी तरह के बदलाव की सूचना आपको आसानी से भेजी जा सकती है। हर हफ्ते कम से कम एक बार बैंक एकाउंट या क्रेडिट कार्ड एकाउंट चेक करने के साथ ट्रांजेक्शन पर नजर रखना जरूरी है। मोबाइल बैंकिंग द्वारा सक्रिय रहें और अपने ट्रांजेक्शन पर नजर रखें।
फर्जी ईमेल से रहें दूर
फिशिंग ऐसी ईमेल है जो आपको फंसाने के लिए भेजी जाती है। यह बैंक या किसी शॉपिंग वेबसाइट या बड़े कारोबारी संस्थान से भेजी हुई लगती हैं। इनके माध्यम से आपकी व्यक्तिगत जानकारी मांगने की कोशिश की जाती है। इन लिंक पर क्लिक करते ही नकली वेबसाइट खुल जाती है। जैसे ही आप अपना यूजर आइडी और पासवर्ड दर्ज करते हैं, आपका मोबाइल नंबर, लॉग-इन आइडी, पासवर्ड, डेबिट/क्रेडिट कार्ड संबंधी जानकारी, सीवीवी, जन्म दिन आदि की चोरी की जा सकती है।
बैंक कभी नहीं मांगता आपके ये जानकारियां
बैंक के पास आपकी सभी जानकारी मौजूद होती है और वह कभी ई-मेल से या फोन से आपसे CVV या OTP नहीं मांगता। इस तरह की जानकारी अगर कोई मांग रहा है तो वह खतरे का संकेत है। किसी से भी इस तरह की गोपनीय जानकारी शेयर ना करें।
मोबाइल फोन में डालें एंटी वायरस
वायरस और सायबर अटैक से बचाव में एंटी वायरस बहुत काम आता है। सस्ते या फ्री एंटी-वायरस के लालच में ना आएं। इसे समय-समय पर अपडेट करते रहें। अगर आपको किसी ऐसे ट्रांजेक्शन का पता चलता है जो आपने नहीं किया है, तो तत्काल अपने बैंक से इस बारे में शिकायत दर्ज कराएं।
कम लिमिट वाला कार्ड इस्तेमाल करें
अगर आप क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं तो ऐसे कार्ड से पेमेंट करें, जिसकी लिमिट कम हो। अगर आप डिजिटल वालेट से पेमेंट कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसमें भी पहले से पैसे ना पड़े हों। जब आप शॉपिंग करें, तभी पेमेंट ट्रांसफर करें।
भूलकर भी न सेव करें अपनी डिटेल्स
बहुत से लोग शॉपिंग करते वक्त बार-बार कार्ड नंबर एंटर करने की परेशानी से बचने के लिए अपना कार्ड नंबर और एक्सपायरी वगैरह उस साइट पर सेव कर लेते हैं। ऐसा ना करें।
गौरतलब है कि एटीएम कार्ड या ऑनलाइन बैंकिंग में किसी फ्रॉड के मामले में अगर तीन दिन के भीतर बैंक को शिकायत कर दी तो आपका पैसा वापस मिल जाएगा। एटीएम कार्ड से किसी फ्रॉड या गलत लेन-देन पर आपको 3 से 7 दिन का नियम जरूर याद रखना चाहिए। RBI की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बैंक अकाउंट से कोई फ्रॉड होता है और वह समय पर बैंक को इसकी सूचना देता है तो ग्राहक को इसका नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। इस मामले में बैंक उसके पैसे की भरपाई कर देगा।
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