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ग्‍लोबल फार्मास्‍युटिकल क्‍वालिटी समिट में दुनिया के लिए भारत में गुणवत्‍तापूर्ण स्‍थायी फार्मास्‍युटिकल्‍स बनाने पर दिया गया जोर

नई दिल्लीः इंडियन फार्मास्‍युटिकल अलायंस (आईपीए) द्वारा आयोजित दो-दिवसीय ग्‍लोबल फार्मास्‍युटिकल क्‍वालिटी समिट 2022 का बीती रात सफल समापन हुआ। इस आयोजन में उद्योग के नेतृत्‍वकर्ताओं और परितंत्र के विनियामकों ने परिचालन, टीकों के विकास और स्‍थायित्‍व में उत्‍कृष्‍टता एवं गुणवत्‍ता अर्जित करने पर विचार-विमर्श किया। विभिन्‍न उद्योगों के नेतृत्‍वकर्ताओं ने फार्मास्‍युटिकल उद्योग के लिये […]

नई दिल्लीः इंडियन फार्मास्‍युटिकल अलायंस (आईपीए) द्वारा आयोजित दो-दिवसीय ग्‍लोबल फार्मास्‍युटिकल क्‍वालिटी समिट 2022 का बीती रात सफल समापन हुआ। इस आयोजन में उद्योग के नेतृत्‍वकर्ताओं और परितंत्र के विनियामकों ने परिचालन, टीकों के विकास और स्‍थायित्‍व में उत्‍कृष्‍टता एवं गुणवत्‍ता अर्जित करने पर विचार-विमर्श किया। विभिन्‍न उद्योगों के नेतृत्‍वकर्ताओं ने फार्मास्‍युटिकल उद्योग के लिये नवाचार, टेक्‍नोलॉजी और संभावित शिक्षाओं पर अपने विचार भी साझा किये।

इस दिन का मुख्‍य आकर्षण था ‘एक सिरे से दूसरे सिरे तक स्‍थायित्‍वपूर्ण परिचालन एवं गुणवत्‍ता में उत्‍कृष्‍टता- आगे का मार्ग’ विषय पर पैनल चर्चा, जिसमें भारत की अग्रणी फार्मास्‍युटिकल कंपनियों के सीईओ ने भाग लिया, जैसे सिप्‍ला, डॉ. रेड्डीज, ल्‍यूपिन, सन फार्मा, टोरेंट और ज़ाइडस। सत्र का संचालन मैकिंसी एंड कंपनी के सीनियर पार्टनर गौतम कुमरा ने किया था।

बायोसिमिलर्स जैसे नये साधनों पर अपने विचार रखते हुए, सिप्‍ला के सीईओ उमंग वोहरा ने कहा, “हमने जेनेरिक्‍स के लिये आंतरिक आधार पर अपनी तकनीकें विकसित की हैं और अब हमें उनके साथ मिलकर काम करना है, जो ऐसा पहले ही कर चुके हैं और फिर इसका फायदा उठाना है। कुछ तकनीकों के लिये जो प्रतिभा चाहिये, वह भारत में मौजूद नहीं है, इसलिये वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर काम करने से यह समस्‍या दूर करने में मदद मिलेगी।”

डिजिटाइजेशन के सफर की चुनौतियों के बारे में डॉ. रेड्डीज के को-चेयरमैन जी वी प्रसाद ने कहा, “डिजिटलाइजेशन को रोका नहीं जा सकता, लेकिन डिजिटाइज करने में अब भी एक चुनौती है, क्‍योंकि डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया के प्रभाव को बढ़ाने के लिये मौलिक प्रक्रियाओं की दक्षता और समझ चाहिये। उद्योग के नेतृत्‍वकर्ताओं को ज्‍यादा कुशल होना होगा, डाटा के आधार पर नेतृत्‍व के फैसले करने होंगे, जिनमें विज्ञान के साथ आम समझ भी हो।”

गुणवत्‍ता पर अपना विचार स्‍पष्‍ट करते हुए, ल्‍यूपिन के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्‍ता ने कहा, “गुणवत्‍ता और अनुपालन का मुद्दा कंपनी के लिये अपना होता है और इस तरह के फोरम्‍स ने उसमें बदलाव किया है, जिन्‍होंने हमें साझा लक्ष्‍य की दिशा में काम करने की अनुमति दी है। सूचना साझा करना एक बड़ा सहयोग-तंत्र रहा है। हम दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाने गये हैं और यह स्थिति पाना हमारा सौभाग्‍य है। खुले संवाद को बढ़ावा देने वाले ऐसे फोरम्‍स की सहायता से हम अगले 5 वर्षों में श्रेणी में सबसे बेहतर के रूप में जाने जाएंगे, जो बहुत अच्‍छी बात है।”

कोविड-19 के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में आई गंभीर बाधा पर अपनी बात रखते हुए सन फार्मास्‍युटिकल के प्रबंध निदेशक दिलीप शांघवी ने लचीलता की क्षमता निर्मित करने पर कहा, “मदद पाने के लिये विकल्‍प निर्मित करना महत्‍वपूर्ण है। सरकार की पीएलआई स्‍कीमें एक आत्‍मनिर्भर आपूर्ति श्रृंखला बनाने में सहायता कर रही हैं और उन्‍होंने महामारी के दौरान सक्षम आपूर्ति में मदद की थी। फिर भी हमें अभी एक लंबी दूरी तय करनी है और धीरे-धीरे हम कमी को पूरा कर लेंगे।”

उद्योग में परिचालन एवं गुणवत्‍ता के सबसे बड़े प्रचलनों के बारे में ज़ाइडस लाइफसाइंसेस के चेयरमैन श्री पंकज पटेल ने कहा, “कोविड-19 ने हमारा ध्‍यान तकनीक और ऑटोमेशन पर केन्द्रित किया है और विनिर्माण तथा आपूर्ति श्रृंखला में हमारे डिजिटल प्रवेश का आरंभ किया है। एपीआई के मामले में भी, विनिर्माण के लिये नई तकनीकें भी उभरी हैं और बायोसिमिलर के बाजार में प्रवेश पर विचार किया जा सकता है।”

इसके बाद पैनल ने पर्यावरणीय, सामाजिक एवं कॉर्पोरेट संचालन पर चर्चा की।