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Devshayani Ekadashi 2022: आखिर क्यों श्री हरि चार महीने सोने चले जाते हैं?

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के सोने के बाद पूरे चार महीने शादी, विवाह, मुंडन, जनेऊ जैसे सभी 16 संस्कार कार्य पर रोक लग जाती है। भगवान विष्णु के देवोत्थान एकादशी पर जागने के बाद फिर से सभी कार्य शुरू हो जाते हैं।

Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का धार्मिक महत्व इसलिए भी खास होता है, क्योंकि इस एकादशी के दिन से ही भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं। चार महीने के बाद देवोत्थान या देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) के दिन फिर भगवान निद्रा से जागते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के सोने के बाद पूरे चार महीने शादी, विवाह, मुंडन, जनेऊ जैसे सभी 16 संस्कार कार्य पर रोक लग जाती है। भगवान विष्णु के देवोत्थान एकादशी पर जागने के बाद फिर से सभी कार्य शुरू हो जाते हैं। आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन से कार्तिक के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन तक इन चार महीनों को शास्त्रों में चातुर्मास या चौमास के नाम से जाना जाता है। जानते हैं क्या है चातुर्मास और क्यों चार महीने के लिए सो जाते हैं भगवान विष्णु।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था। ऐसे में इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने वामन अवतरा लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। भगवान विष्णु ने दो पग में धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा पग कहा रखने का सवाल पूछा। राजा बलि समझ गए कि ये कोई आम व्यक्ति नहीं है। उन्होंने कहा-मेरे सिर पर रखें। इस तरह भगवान विष्णु ने तीनों लोक मुक्त कर लिए।

Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी आज, जानें महत्व, कथाएं व पूजा विधि

भगवान बलि की दानशीलता और भक्ति देखकर वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने कहा कि आप मेरे साथ पाताल लोक चले और वहीं निवास करें। भगवान विष्णु अपने भक्त की बात को मानते हुए पाताल लोक चले गए।

इस बात से सभी देवी-देवता और माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। इसके बाद देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मुक्त कराने के लिए चाल चली और गरीब स्त्री बनकर राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया।

भगवान विष्णु ने अपने भक्त को निराश नहीं करते हुए आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी (ekadashi) से कार्तिक मास की एकादशी तक पाताल लोक में निवास करने का वचन दिया। इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु निद्रासन में चले जाते हैं। इस दौरान भगवान शिव सृष्टि का पालन करते हैं। आषाढ़ महीने के बाद भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आता है।

कहा जाता है कि जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी बनाते हैं, जिससे पृथ्वी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है।

*चतुर्मास या चौमास में कोई यात्रा करने से बचना चाहिए।

*चातुर्मास के दौरान भले ही मांगलिक कार्यों पर पाबंदी होती है लेकिन पूजा-पाठ, यज्ञ और तीर्थ यात्रा में कोई मनाही नहीं होती।

*आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन से कार्तिक के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन तक भगवान विष्णु चिर निद्रा में होते हैं।

*देवउठनी एकादशी पर भगवान ने माता लक्ष्मी से विवाह किया था। इसलिए इस दिन से सभी शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

इस तरह सुलाएं भगवान विष्णु को
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि को मंत्र जाप का उच्चारण करते हुए सुलाया जाता है। ऐसे में भगवान को सुलाने के लिए रात में ‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जनत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचम्’ मंत्र का जाप करें और भगवान को विधिवत सुलाएं।