ल्यो भइया फिर जाये रहे हैं । मल्लब ई बैंक वालों के पास कउनो काम-धाम नहीं है । दिनभर बइठ के कुर्सी तोड़ेंगे औ जब मन करेगा तो हड़ताल-हड़ताल खेलने लग जायेंगे ।
औ अबकी बार तो डायरेक्ट दुई दिन की स्ट्राइक कर लिए । सही है । वइसे भी इस महीने कउनो छुट्टी नहीं है । बता रहे हैं कि सरकार बैंकों को बेचने की तैयारी कर रही है । अरे भइया जब बैंक वाले बीमा से लइके म्यूच्यूअल फंड बेच सकते हैं तो क्या सरकार बैंक भी नहीं बेच सकती । क्या है कि खरीद फ़रोख़्त होती रहती है तो सरकार का भी मन लगा रहता है । वरना अभी तो एयर इंडिया को बेचे ही हैं ।
बेचना बहुतै जरूरी है । इससे मार्केट में डिमांड बनी रहती है । अब पिछले बजट में ताई जी बताई थीं कि दो ठो बैंक बेच देंगी । लेकिन भइया पिच्चर पूरी सस्पेंस वाली निकली । मजाल है कि आज तक कउनो जान पाया हो कि आखिर वो दो बैंक कउन से हैं । बैंक वाले खुद एक दूसरे को शक की नजरों से देखते हैं । क्या पता काहो सरकार को खुद ही न पता हो ।
लेकिन बैंक वाले भी कउनो कच्ची गोली तो खेले नहीं । ऐन मौके पे सब बैंकों का प्रॉफिट वाला सिग्नल हरा कर दिए । लेकिन भइया ये मोदी सरकार है । एक बार जो कमिटमेंट कर देती है तो फिर खुद की भी नहीं सुनती । हाँ किसान विसान हों तो बात अलग है । बैंक वाले तो कह रहे हैं कि बैंक बचाओ देश बचाओ । बताइये ये भी कोई बात हुई भला । बैंक पहिले है कि देश । अरे बैंक रहे न रहे देश रहना चाहिए । स्वार्थीपने की हद है ।
लेकिन बैंक वाले भी बिचारे बड़े शरीफ हैं, भोले हैं । जनता का पूरा ध्यान रखे हैं । मजाल है कि हड़ताल के साथ कउनो छुट्टी या फिर सन्डे वंडे पड़ जाये । वैसे एक चीज हम जनता को और बता दें । जब जब बैंक वाले हड़ताल पे जाते हैं तब तब अपनी सैलरी कटवाते हैं । मल्लब लड़ाई उनकी नहीं बल्कि इस देश की आम जनता की है ।
अब भी समय है । लड़ाई सिर्फ बैंक वालों की नहीं बल्कि इस देश के हर नागरिक की है । बैंक वालों का साथ देओ बाकी फिर हमसे न कहियेगा कि बताए नहीं।
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