नई दिल्ली: हर घर में नल से शुद्ध पेय जल पहुँचाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने झारखंड को ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत 2021-22 के लिए अनुदान की राशि बढ़ा कर 2,479.88 करोड़ रुपये कर दी है। पिछले वर्ष केन्द्रीय अनुदान की यह राशि 572.24 करोड़ रुपये थी। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य को अनुदान में चार गुना वृद्धि को मंजूरी प्रदान करते हुए झारखंड को भरोसा दिया है कि राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर में 2024 तक नल से शुद्ध पेय जल पहुंचाने के लिए राज्य को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
2019 में ‘जल जीवन मिशन’ के शुभारंभ के समय देश में कुल मौजूद 19.20 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ घरों, यानि मात्र 17 प्रतिशत के यहाँ घरेलू नल कनेक्शन था। और, उसके बाद के इन 22 महीनों के दौरान – कोविड-19 महामारी की विभीषिका और उसके कारण लगे अनेक लॉकडाउन के बावजूद – ‘जल जीवन मिशन’ ने पूरी निष्ठा, समर्पण और कार्यकुशलता से काम करते हुए 4.39 करोड़ नए घरों तक नल से शुद्ध जल पहुंचाया है। यानि इन 22 महीनों में 23 प्रतिशत प्रगति हासिल की गयी जिसके फलस्वरूप आज देश के ग्रामीण इलाकों के 7.62 करोड़ घरों में (40 प्रतिशत) पीने के साफ पानी की सप्लाई नल से होने लग गयी है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और पुदुचेरी ने अपने यहाँ के सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुंचा कर 100 प्रतिशत कामयाबी हासिल कर ली है और वे ‘हर घर जल’ प्रदेश बन गए हैं। प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ सिद्धान्त में अंतर्निहित मूल भावना के ही अनुरूप ‘जल जीवन मिशन’ का भी संकल्प है कि ‘कोई भी छूटे ना’ और हर गाँव के हर घर में नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जाए। आज देश के 63 जिलों और 95 हज़ार से ज़्यादा गावों में हर घर में नल से पेय जल मिल रहा है।
झारखंड में 29,752 गावों में रह रहे कुल 58.95 लाख परिवारों में से केवल 7.72 लाख ग्रामीण परिवारों (13 प्रतिशत) को ही नल से जल की आपूर्ति हो पा रही है। 15 अगस्त 2019 को ‘जल जीवन मिशन’ के शुभारंभ के समय राज्य में 3.45 लाख ग्रामीण घरों (5.85 प्रतिशत) में ही नल जल कनेक्शन था। इन 22 महीनों के दौरान झारखंड में 4.27 लाख (7.24 प्रतिशत) ग्रामीण घरों तक नए नल जल कनेक्शन पहुंचाए गए। तब भी 7.24 प्रतिशत की यह बढ़ोतरी राष्ट्रीय औसत 23 प्रतिशत से काफी नीचे है। राज्य 2020-21 के दौरान केवल 2.99 लाख घरों में ही नए नल कनेक्शन उपलब्ध करा पाया। इस गति से तो शेष बचे 51.23 लाख घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाना राज्य सरकार के लिए बड़ा दुष्कर कार्य प्रतीत होता है।
2020-21 के दौरान झारखंड को ‘जल जीवन मिशन’ के तहत केन्द्रीय अनुदान के रूप में 572.24 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन कार्यान्वयन की धीमी रफ्तार के कारण राज्य केवल एक चौथाई राशि यानि 143.06 करोड़ रुपये ही निकाल पाया – जिस कारण उसे गाँव-देहात की जल आपूर्ति जैसे जनसेवी कार्य के लिए दिए गए कुल आवंटन का तीन चौथाई हिस्सा यानि 429.18 करोड़ रुपये लौटाने पड़े।
झारखंड के प्रत्येक ग्रामीण घर में 2024 तक नल से शुद्ध पेय जल पहुंचाने के कार्य में सहयोग के लिए ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य के 2021-22 के आवंटन में चार गुना वृद्धि कर उसका आवंटन 2,479.88 करोड़ रुपये कर दिया है। इस वित्त वर्ष में हुई इस भारी वृद्धि, पिछले वित्त वर्ष के अंत में खर्च न हो पाए 137.93 करोड़ रुपये की राशि और राज्य के समतुल्य अंश के रूप में 2,617.81 करोड़ रुपये की राशि को जोड़ कर राज्य के पास ‘जल जीवन मिशन’ से जुड़े कार्यों के लिए 2021-22 में समग्र रूप से 5,235.62 रुपये पक्के तौर पर उपलब्ध हैं। यानि, झारखंड में ‘हर घर जल’ के लिए धन की कोई कमी नहीं है। लेकिन, राज्य सरकार ने केंद्रीय आवंटन में से पहली किस्त जारी कराने के लिए अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि नल जल कनेक्शन देने का काम हर गाँव में शुरू कर दिया जाए ताकि राज्य 2024 तक ‘हर घर जल’ हो जाए। श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने उम्मीद जताई है कि झारखंड सरकार इस विशाल धनराशि का भरपूर उपयोग कर राज्य के प्रत्येक ग्रामीण घर में पेयजल सुविधा सुनिश्चित कर पाएगी। राज्य के ग्रामीण इलाकों में इस विशाल राशि के निवेश से निश्चित तौर पर रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे, तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई तेज़ी और मजबूती आएगी।
इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को जलापूर्ति एवं स्वच्छता के लिए दी जाने वाली राशि के रूप में झारखंड को 2021-22 में 750 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं। इसके फलस्वरूप, राज्य को अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक 3,952 करोड़ रुपये का पक्का आश्वासन है।
स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में बच्चों के लिए शुद्ध पेय जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सौ दिन के विशेष अभियान की घोषणा की थी, जिसका शुभारंभ केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत तथा राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने 2 अक्तूबर 2020 को किया था। इसके परिणामस्वरूप अनेक राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिल नाडु, तेलंगाना तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में भी नल से शुद्ध पेय जल उपलब्ध करने का प्रावधान किया है। झारखंड में केवल 5,867 स्कूलों (14 प्रतिशत) और मात्र 962 आंगनवाड़ी केन्द्रों (2 प्रतिशत) में ही नल से पेय जल की व्यवस्था है। इस पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने राज्य से कहा है कि बच्चों के स्वास्थ्य और साफ-सफाई के महत्व को देखते हुए अगले कुछ महीनों में सभी शेष स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में भी नल से पेय जल पहुंचाया जाए।
झारखंड के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पानी की कमी वाले क्षेत्रों, जल गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों, और सांसद आदर्श ग्राम योजना के सभी घरों को इस वर्ष प्राथमिकता के आधार पर नल से जल प्रदान किए जाने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विशेष बल दिए जाने का भी उल्लेख किया है।
जल गुणवत्ता परीक्षण और निगरानी गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, पीआरआई सदस्य, स्कूल शिक्षक आदि को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके संदूषण के लिए पानी के नमूनों का परीक्षण कर सकें। झारखंड में मौजूद कुल 33 जल जांच प्रयोगशालाओं में से केवल 7 ही एन.ए.बी.एल. से प्रमाणीकृत हैं। राज्य को प्रयोगशालाओं को भी और बेहतर बनाना होगा तथा ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोगशालाओं को एन.ए.बी.एल. प्रमाणीकरण दिलाने का प्रयास करना होगा। यह सभी प्रयोगशालाएँ आम जनता के लिए भी खोल देनी चाहिए ताकि वह यहाँ नाम मात्र के खर्च पर अपने पेयजल के नमूनों की जांच करा सकें।
‘जल जीवन मिशन’ की कार्यप्रणाली जन-आधारित है, जिसमें स्थानीय ग्रामवासियों को समूची प्रक्रिया के प्रारम्भ से ले कर अंत तक, यानि योजना बनाने से ले कर उसके कार्यान्वयन, प्रचालन और रखरखाव तक साझीदार के रूप में शामिल किया जाता है। इसे हासिल करने के लिए राज्य सरकार को कुछ सहयोग गतिविधियां भी चलानी होंगी जैसे कि ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/ पानी समिति को सुदृढ़ और अधिकारसमपन्न बनाना, अगले पाँच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना बनाना तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को ‘कार्यान्वयन सहयोग एजेंसियों’ (आई.एस.ए.) के रूप में शामिल करना ताकि वे सामुदायिक जागृति पैदा करने, ग्रामीणों के प्रशिक्षण और आईईसी गतिविधियों, आदि में मदद कर सकें। झारखंड के 29,752 गावों में अभी केवल 23,882 ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां ही मौजूद हैं और अब तक मात्र 2,986 ग्राम कार्य योजनाएँ ही तैयार हो पाई हैं। 2021-22 में झारखंड ने 53 राज्य क्रियान्वयन एजेंसियां (आई.एस.ए.) को अनुबंधित करने की योजना बनाई है। हर ग्रामीण घर को नल से शुद्ध पेय जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किए जाने वाले जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के दीर्घकालिक प्रचालन और रख-रखाव के लिए झारखंड के ग्रामीण इलाकों में अभी 2 लाख से ज़्यादा लोगों को प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से घोषित ‘जल जीवन मिशन’ का लक्ष्य देश के सभी ग्रामीण घरों को 2024 तक नल के जरिये शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना है। इस मिशन को राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों की साझेदारी में चलाया जा रहा है। ‘जल जीवन मिशन’ के लिए इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि उपलब्ध है (केंद्रीय अनुदान के 50,011 करोड़ रुपये, राज्यों का समतुल्य अंश, तथा 15वें वित्त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को जल एवं स्वच्छता कार्यों के लिए निर्धारित 26,940 करोड़ रुपये) जो गाँव-देहात की पेय जल आपूर्ति परियोजनाओं पर खर्च की जानी है। निश्चित तौर पर इस विशाल धनराशि से देश के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, और गाँव-देहात की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति, नई ऊंचाई हासिल हो रही है।
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