लखनऊ: योगी सरकार लोगों को मिलेट्स (millets) का मुरीद बना रही है। यह काम दोतरफा चल रहा है। खाने के साथ किसानों के स्तर पर भी। मसलन कुछ दिन पहले सरकार ने निर्णय लिया कि अब मिड डे मील (Mid Day Meal) में बच्चों को एक दिन बाजरे की खिचड़ी भी दी जाएगी। स्वाभाविक है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मिड डे मील पाने वालों बच्चों की संख्या के मद्देनजर यह बाजरा उत्पादक किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सरकार पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्का और बाजरा खरीद रही है। सरकार ने खरीफ के इसी सीजन से धान के साथ ही ज्वार को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है।
योगी सरकार के इन निर्णयों के नतीजे दूरगामी होंगे। मसलन मिड डे मील में बाजरे के शामिल होने के बाद इसकी मांग भी बढ़ जाएगी। इस बढ़ी मांग के अनुसार सरकार को इसकी और खरीद करनी पड़ेगी। इससे ओपन मार्केट में भी बाजरे के बेहतर दाम मिलेंगे। बेहतर दाम किसानों को इसके उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे। कुल मिलाकर यह आमजन की सेहत और किसानों की समृद्धि के लिए मुफीद होगा।
भविष्य में यही स्थिति ज्वार की भी हो सकती है। यही नहीं जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के मद्देनजर जिस तरह गेहूं और धान जैसी परंपरागत और एकल खेती को खतरा बताया जा रहा है, उसमें भी प्रतिकूल परिस्थितियों में, कम पानी, खाद, कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधी ये अनाज कृषि विविधिकरण के अनुकूल है। पोषण के लिहाज से परंपरागत फसलों से उम्दा होना इनके लिए सोने पर सुहागा है।