गोरखपुर: एक वह भी दौर था जब पूर्वांचल की त्रासदी बन चुकी इंसेफेलाइटिस के वायरस की पहचान के लिए नमूने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी पुणे भेजे जाते थे। कई बार ऐसा होता था कि बीमारी की पहचान के लिए रिपोर्ट आते-आते पीड़ित की जान चली जाती थी। पर, इस पीड़ा को महसूसने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर गोरखपुर में ही इंसेफेलाइटिस समेत अन्य वायरसजनित बीमारियों की विश्व स्तरीय जांच उपलब्ध हो गई है। यह संभव हुआ है कि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की क्षेत्रीय इकाई रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) के जरिये। सीएम योगी के प्रयास से शुरू इस आरएमआरसी में नौ अत्याधुनिक लैब्स बनकर तैयार हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
आरएमआरसी की इन लैब्स के जरिये न केवल बीमारियों के वायरस की पहचान होगी बल्कि बीमारी के कारण, इलाज और रोकथाम को लेकर व्यापक स्तर पर वर्ल्ड क्लास अनुसंधान भी हो सकेगा। सबसे खास बात यह भी अब गोरखपुर में ही आने वाले समय में कोरोनाकाल के वर्तमान दौर की सबसे चर्चित और सबसे डिमांडिंग जीनोम सिक्वेंसिंग भी हो सकेगी। यह पता चल सकेगा कि कोरोना का कौन सा वैरिएंट अधिक प्रभावित कर रहा है।
आरएमआरसी की पांच मंजिला बिल्डिंग में अवस्थापना सुविधाओं में करीब 36 करोड रुपये की लागत आई है। इसका शिलान्यास 2018 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर किया था। अब यह यह पूरी तरह बनकर तैयार है। इसकी बिल्डिंग में 500 केवी का सोलर प्लांट भी लगा है जिससे 200 यूनिट बिजली की बचत होगी। आरएमआरसी के लैब्स में इम्युनोलोजी, मॉलीक्यूलर बायोलोजी, माइकोलोजी, माइक्रोबायोलोजी, मेडिकल इंटेमोलोजी, नान कम्युनिकेबल डिजीजेज, सोशल बिहैवियर स्टडीज, हेल्थ कम्युनिकेशन और इंटरनेशनल हेल्थ पालिसी उप विभागों के जरिये बीमारियों के कारक वेक्टर/वायरस आदि की पहचान हो सकेगी। जापानी इंसेफेलाइटिस, कोरोना व अन्य वायरसजनित बीमारियों की जांच की सुविधा, निदान व रोकथाम हेतु उच्च गुणवत्तायुक्त शोध की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
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