लखनऊ: योगी सरकार (Yogi Sarkar) के प्रयास से देश में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ने प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना (Pradhan Mantri Swamitwa Yojana) में अव्वल स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश में जालौन एक ऐसा शहर बन गया है जहां सौ प्रतिशत घरौनियां (ग्रामीण आवासीय प्रमाण पत्र) उपलब्ध करा दी गई हैं। राजस्व विभाग ने सिर्फ तीन महीने के अंदर ही 33 लाख से ज्यादा मामलों का निस्तारण कर दिया है।
74 हजार गांव का ड्रोन सर्वे हुआ पूरा
राजस्व विभाग की आयुक्त एवं सचिव मनीषा त्रिघाटिया ने बताया कि स्वामित्व योजना के कार्यों के निष्पादन के तहत प्रदेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 22 जिलों के 74,657 ग्रामों में अब तक ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है, साथ ही 25,824 ग्रामों की घरौनियां तैयार कर ली गई हैं।
इस प्रकार अब तक कुल 37,11,294 घरौनियां तैयार कर ली गई हैं, जिनमें 25 जून तक 34,69,879 घरौनियों को वितरित कर दिया गया है। वहीं 25 जून के बाद अब तक 2,41,415 नई घरौनियां तैयार कर ली गई हैं। इसके तहत प्रदेश में 31 मई तक निर्विवाद वरासत के 33,28,255 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से सभी प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कर दिया गया है। अविवादित 28,31,417 प्रार्थना पत्रों में आदेश भी पारित किये गये हैं।
यह है प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2020 अप्रैल में की गई थी। योजना का मकसद है कि ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इस योजना के जरिए सरकार तकनीक का इस्तेमाल करके ग्रामीण भारत को सशक्त और मजबूत बनाना चाहती है।
ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना किसी वरदान से कम नहीं है। इसके जरिए गांव के उन लोगों को अपनी जमीन का मालिकाना हक मिल रहा है जिनकी जमीन किसी सरकारी आंकड़े में दर्ज नहीं है। हालांकि अब तक लोगों को जमीन छिनने का डर बना रहता था।
नहीं हैं जिनके पास जमीन के कागज उन्हें मिल रहे घिरौनी के कागजात
ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए स्वामित्व योजना आने से ग्रामीणों को प्रॉपर्टी कार्ड के लिए योजना के तहत आवेदन नहीं करना पड़ेगा। सरकार जैसे-जैसे ग्रामीण भारत में सर्वे और मैपिंग का काम करती जाएगी, वैसे-वैसे लोगों को उनकी जमीन का प्रॉपर्टी कार्ड मिलता जाएगा।
ध्यान रखने की बात यह है कि जिन लोगों के पास पहले से जमीन के कागजात मौजूद हैं उन लोगों को तुरंत अपने कागजात की फोटो कॉपी करके जमा करानी होगी। वहीं जिन लोगों के पास जमीन के कागज नहीं हैं उन्हें सरकार की तरफ से घिरौनी नाम का डॉक्यूमेंट दिया जा रहा है।
लोगों को मिलेंगे यह फायदे
बता दें कि जमीन खुद के नाम होने पर गांव के लोग उसे आसानी से किसी को भी बेच या उसकी संपत्ति खरीद सकेंगे। इसके साथ ही वह बैंक से लोन आदि की सुविधा भी आसानी से उठा पाएंगे। इस योजना के तहत साल 2021 से 2025 तक 6.62 लाख गांवों को शामिल करने की सरकार की प्लानिंग है।