नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को कथित फर्जी डिग्री मामले में तब बड़ी राहत मिली है जब अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम), प्रयागराज ने उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग वाली एक अर्जी खारिज कर दी थी।
एसीजेएम नम्रता सिंह ने एक सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर त्रिपाठी द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत दायर आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रथम दृष्टया कोई संज्ञेय अपराध नहीं हुआ है। सिंह ने कहा कि आवेदन को खारिज कर दिया जाता है, क्योंकि यह निराधार पाया गया है।
शिकायतकर्ता ने मौर्य द्वारा विभिन्न स्थानों पर पांच चुनाव लड़ने और एक पेट्रोल पंप प्राप्त करने के लिए फर्जी शैक्षणिक डिग्री का उपयोग करने का आरोप लगाया था।
जिला सरकार के वकील (अपराधी) गुलाब चंद्र अग्रहरी ने संवाददाताओं को बताया कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अदालत ने 11 अगस्त को पुलिस को उपमुख्यमंत्री की कथित फर्जी डिग्री की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था।
एसीजेएम ने प्रयागराज के छावनी के थाना प्रभारी को हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज द्वारा जारी उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष की डिग्री की प्रमाणिकता पर रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री को सौंपने और फर्जी प्रमाण पत्र के उपयोग के आरोप के संबंध में भी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
इसके बाद, पुलिस ने जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट दर्ज की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रयागराज के कैंट थाने के अधिकार क्षेत्र में कोई भी कथित अपराध नहीं हुआ था। अतः त्रिपाठी की अर्जी पर कैंट पुलिस द्वारा कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी।
इसके अलावा, पुलिस द्वारा दायर रिपोर्ट के अनुसार, आवेदक द्वारा किसी भी प्रामाणिक स्रोत से कथित फर्जी डिग्री प्राप्त नहीं की गई थी, बल्कि दस्तावेजों की केवल जेरोक्स प्रतियां दायर की गई हैं, जो विश्वसनीय सबूत नहीं थे।
इसके अलावा, आवेदक द्वारा मौर्य के खिलाफ चुनाव आयोग के समक्ष कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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