नई दिल्ली: यूपी में बीजेपी सरकार 18 ओबीसी उपजातियों को आरक्षण देने के प्रस्ताव पर विचार -विमर्श कर रही है, जिन्हें अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। बता दें कि सरकार इन उपजातियों को 27 प्रतिशत ओबीसी कोटे के दायरे में आरक्षण देने की योजना बना रही है।
बता दें कि प्रस्ताव की अंतिम रूपरेखा पर अभी फैसला होना बाकी है। सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र को भेजने से पहले इसे उत्तर प्रदेश विधानसभा के दोनों सदनों में विधेयक के रूप में पारित कराना होगा और राज्य मंत्रिमंडल में भी लाना होगा।
दरअसल विचाराधीन 18 उपजातियों में मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा, गोदिया, मांझी और मछुआ शामिल हैं।
वहीं एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार यकीनन इन सभी उपजातियों को राहत देना चाहती है।
बता दें कि ओबीसी सामूहिक रूप से यूपी में सबसे बड़ा वोटिंग ब्लॉक है और कुल आबादी का लगभग 45 प्रतिशत है।
दरअसल 2001 में जब राजनाथ सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। हुकुम सिंह की अध्यक्षता वाली एक समिति ने ओबीसी के उप-वर्गीकरण की सिफारिश की थी, जिसमें यादवों को केवल 5 प्रतिशत और एमबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण आवंटित किया गया था। इस पर राज्य हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।