गोरखपुर: सिर्फ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ही नहीं, देश के अन्य राज्यों के लोगों को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भरोसे के पर्याय लगते हैं। सीएम योगी के जनता दर्शन में दिख रहा नजारा इसे प्रमाणित करता है। लगातार दूसरी बार जनता दर्शन में बिहार के लोगों ने अपने राज्य से संबंधित समस्या के निस्तारण की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री ने उनकी समस्या को भी सहज भाव और इत्मीनान से सुना।
सोमवार को वनटांगियों और मुसहरों के साथ दिवाली मनाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार सुबह गोरखनाथ मंदिर मैं आयोजित जनता दर्शन के दौरान करीब 200 लोगों की फरियाद सुनी। महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार के बाहर लगी कुर्सियों पर बैठाए गए फरियादियों तक मुख्यमंत्री खुद पहुंचे और एक-एक कर उनकी समस्याओं को सुना। इस दौरान बिहार से आई एक महिला ने उन्हें अपनी समस्या बताई। मुख्यमंत्री पहले तो दूसरे राज्य का मामला जान हैरान हुए लेकिन महिला को परेशान देख बड़े ध्यान से उसकी बातों को सुना। समझाया कि उत्तर प्रदेश का मामला होता तो समस्या का तुरंत समाधान हो जाता। उसे दिलासा देते हुए बिहार में समस्या निस्तारण को आवदेन करने का सुझाव दिया। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व के जनता दर्शन में बिहार से आई एक महिला फरियादी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से रोजगार देने की गुहार की थी। यह कहते हुए कि बिहार में काम नहीं मिल रहा है क्या, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय अधिकारियों को महिला के आवेदन पर आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया था।
मंगलवार को जनता दर्शन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब 200 फरियादियों की समस्याएं सुनी और उनके निस्तारण के लिए प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। फरियादियों में अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं की संख्या अधिक रही। सीएम योगी ने फरियादियों के साथ आए उनके बच्चों को दुलार कर आशीर्वाद देने के साथ अपने हाथों से चॉकलेट गिफ्ट किया।
गोसेवा में रमे दिखे मुख्यमंत्री
रविवार को श्री अयोध्या धाम में दीपोत्सव का विश्व कीर्तिमान बनाने तथा सोमवार को वनटांगिया और मुसहर समाज के लोगों के बीच दिवाली की खुशियां साझा करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को गोसेवा में रमे दिखे। गोरखनाथ मंदिर की गौशाला में उन्होंने गोवंश को अपने हाथों से गुड़ खिलाया। सभी गोवंश को उनके नाम से पुकार कर अपने पास बुलाया और उनके माथे को स्नेहिल स्पर्श देकर अपनत्व का एहसास कराया। इस दौरान उन्होंने सूरदास नाम के एक नेत्रहीन बछड़े को खूब देर तक दुलारा और गुड़ खिलाया।