लखनऊ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बदलाव करते हुए कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर समेत 50 महापुरुषों की जीवनी को शामिल किया है। वहीं यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवाल उठाए हैं। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस पाठ्यक्रम में मुस्लिम लीग के नेताओं के नाम क्यों नहीं हैं।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा- “देश के बंटवारे के सूत्रधार व जिम्मेदार, हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्षों व नेताओं यथा विनायक दामोदर सावरकर व अन्य के नाम पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो सकते है तो मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय अध्यक्षों व नेताओं के नाम सूची में क्यों नहीं? सच तो यह है कि हिंदू महासभा 1923, 1937 व 1939 से बंटवारे की मांग बटवारा होने तक जारी रखी, फलस्वरूप हिंदू महासभा के दबाव में देश के बंटवारे के प्रस्ताव को स्वीकार करना मुस्लिम लीग की तो मजबूरी थी।
वहीं, यूपी माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि पहले एक पुस्तक चलती थी जिसमें जितने महान व्यक्तित्व और हमारे जितने क्रांतिकारी वीर थे उनकी कहानी थी, उसको हमने भी पढ़ा है। उसी प्रकार से पाठ्यक्रम में महान शक्तियां जिन्होंने देश को आजाद कराया और अपने प्राणों का बलिदान दिया उनका जीवनचरित्र पाठ्यक्रम में आना चाहिए। वीर सावरकर को लेकर विपक्ष इतना हंगामा मचा रहा है, जो कि ठीक नहीं है पहले उनके बारे में जाने तब ऐसी बात करे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
यूपी बोर्ड ने नौवीं से 12वीं तक की कक्षा के पाठ्यक्रम में हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर, मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज और बिरसा मुंडा समेत 11 और महापुरुषों की जीवनगाथा शामिल की है। अब विद्यार्थी नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में इन महापुरुषों के बारे में पढ़ेंगे।