Hathras stampede case: उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras) जिले में 2 जुलाई को आयोजित नारायण साकार हरि ‘भोले बाबा’ के ‘सत्संग’ कार्यक्रम के दौरान हुई भगदड़ के सिलसिले में दायर चार्जशीट में ‘भोले बाबा’ का नाम आरोपी के तौर पर गायब है।
इसे यूपी पुलिस की लापरवाही कहें या फिर ऊपरी दबाव के कारण उनका नाम चार्जशीट में नहीं डाला गया है।
बता दें कि इस घटना में 121 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल थीं।
‘भोले बाबा’ की पहचान सूरज पाल के रूप में हुई है। उन्हें नारायण साकार हरि और जगत गुरु विश्वहारी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि 11 आरोपियों के खिलाफ मंगलवार को दायर 3,200 पन्नों की चार्जशीट में स्वयंभू बाबा का नाम नहीं है।
हाथरस पुलिस ने भगदड़ की घटना के सिलसिले में मंगलवार को एक अदालत में 3,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि पुलिस ने 11 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें कार्यक्रम की अनुमति हासिल करने वाले लोग भी शामिल हैं। मामले में आरोपी 11 लोगों में शामिल हैं: देव प्रकाश मधुकर (कार्यक्रम के मुख्य आयोजक), मेघ सिंह, मुकेश कुमार, मंजू देवी, मंजू यादव, राम लधेते, उपेंद्र सिंह, संजू कुमार, राम प्रकाश शाक्य, दुर्वेश कुमार और दलवीर सिंह।
एफआईआर में भी उनका नाम था। ‘मुख्य सेवादार’ देवप्रकाश मधुकर एफआईआर और चार्जशीट दोनों में मुख्य आरोपी है। भगवान भोले बाबा का नाम एफआईआर में भी शामिल नहीं था।
बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह के हवाले से बताया गया कि अदालत ने आरोपियों को चार्जशीट की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए 4 अक्टूबर की तारीख तय की है।
सिंह ने बताया कि मंगलवार को कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और धन जुटाने वाले देव प्रकाश मधुकर समेत 10 आरोपियों की कोर्ट में प्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज कराई गई, जिन्हें अलीगढ़ जिला जेल से हाथरस जिला कोर्ट लाया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद आरोपियों में से एक मंजू यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। सिंह ने बताया, “मामले की जांच कर रही एसआईटी ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। मामले की अलग से न्यायिक जांच चल रही है।”
हाथरस भगदड़
हाथरस के सिकंदराराऊ इलाके के फुलराई गांव में 2 जुलाई को सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं।
इस मामले में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हुआ था सत्संग में क्या?
भोले बाबा का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने पहले दावा किया था कि प्रवचनकर्ता के ‘सत्संग’ में भगदड़ के पीछे “असामाजिक तत्व” थे। वकील ए पी सिंह ने पीटीआई को बताया, “कुछ असामाजिक तत्वों ने साजिश रची। जब नारायण साकर हरि कार्यक्रम स्थल से चले गए, तो उनके वाहन चले गए, हमारे स्वयंसेवक और अनुयायी साजिश के कारण यह समझने में विफल रहे कि क्या हो रहा है। यह एक योजना के अनुसार किया गया था और इसकी जांच होनी चाहिए।”
बयान ने प्रारंभिक रिपोर्टों का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि यह त्रासदी तब हुई जब उनके अनुयायी उनके पैरों से छुई गई मिट्टी को इकट्ठा करने के लिए दौड़े।
प्रारंभिक सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, भगदड़ तब मची जब बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि भोले बाबा जब अपने उपदेशक की नज़दीकी झलक पाने और उनका “चरण रज” लेने के लिए जा रहे थे, तब उनके बड़ी संख्या में अनुयायी, जिनमें ज़्यादातर महिलाएँ थीं, उनकी ओर दौड़ पड़े।
(एजेंसी इनपुट के साथ)