लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि भारत का भविष्य काफी हद तक गंगा नदी की सफाई पर निर्भर करेगा, और यह जरूरी है कि नदी को पुनर्जीवित करने और इसे प्रदूषण से बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस रितु राज अवस्थी और दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि मई 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने के बाद, नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘माँ गंगा की सेवा करना उनकी नियति’ है।
अदालत ने कहा कि राष्ट्र की जीवन रेखा होने के बावजूद, एक बड़ी आबादी को जीविका प्रदान करने वाली, पूजी जाने के बावजूद, समय के साथ नदी अत्यधिक प्रदूषित हो गई है।
कोर्ट ने मेसर्स जियो मिलर एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कम्पनी, जिसने उत्तर प्रदेश में स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के तहत एक परियोजना के लिए बोली लगाने के बाद अदालत का रुख किया था, तकनीकी योग्यता मानदंडों को पूरा नहीं करने के कारण ठुकरा दिया गया था। याचिका में ठेका देने में पक्षपात का आरोप लगाया गया था। अदालत ने कहा कि एनएमसीजी द्वारा अपनाई गई कार्रवाई उसकी शक्ति के भीतर है और न्यायालय द्वारा किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘बड़े जनहित को देखते हुए, भले ही यह मान लिया गया हो कि प्रतिवादी नंबर 4 के पक्ष में अनुबंध देने में कुछ तकनीकी और प्रक्रियात्मक गड़बड़ी हुई है, लेकिन चूंकि, यह बिना किसी दुर्भावना या मनमानी के रहा है, जनहित मांग करेगा कि इस तरह की भूल को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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