वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) के शिखर की स्वर्मिण आभा से बनारस का जीआई उत्पाद लकड़ी का खिलौना उद्योग चमक उठा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के स्वर्ण मंडित शिखर के मॉडल की मांग बढ़ गई है। घरों में रखने और उपहार स्वरुप देने के लिए श्री काशी विश्वनाथ धाम का मॉडल श्रद्धालुओं की पहली पसंद बनता जा रहा है।
पर्यटक बढ़े तो काष्ठ कला की डिमांड भी बढ़ी
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 13 दिसम्बर 2021को श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद पहले सावन में बाबा के धाम में आने श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या देखी जा रही है। इसका लाभ काशी के काष्ठ कला उद्योग को मिल रहा है। मुख्य मंदिर को 60 किलो स्वर्ण से स्वर्ण मंडित करने के बाद, शिव भक्तों को लकड़ी पर उकेरी गई इसकी स्वर्णिम आभा वाला मॉडल बेहद पसंद आ रहा है। धाम के मॉडल की बिक्री इन दिनों तेजी से बढ़ी है।
शिव परिवार और नंदी की मांग में भी आयी है तेजी
वाराणसी में आने वाले पर्यटकों और प्रवासी भारतीयों को श्री काशी विश्वनाथ धाम के मॉडल के अलावा लकड़ी पर प्राकृतिक रंगो से रंगी गई शिव परिवार के साथ ही गाड़ियों में लटकाने के लिए शिव की आकृति और नंदी पर सवार शिव भी बेहद पसंद आ रहे हैं। देश ही नहीं विदेशों में बसे सनातनियों की ओर से भी इसकी भारी डिमांड देखने को मिली है।
पीएम-सीएम की अपील से मिली नयी पहचान
पीएम और सीएम योगी आदित्यनाथ की अपील से लकड़ी खिलौना उद्योग को नयी पहचान मिली है। लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर बिहारी लाल अग्रवाल और शुभी अग्रवाल ने बताया कि पीएम और सीएम योगी आदित्यनाथ की परंपरागत उद्योग के उत्पादों को उपहार में देने की अपील ने सकारात्मक प्रभाव दिखाया है। उनकी अपील का ही असर है कि इस उद्योग से मुँह मोड़ चुके लोग अब फिर से जुड़ने लगे हैं। इससे काशी की काष्ठकला को नयी पहचान तो मिली ही है, बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध रहे हैं।
कभी 3 हजार वर्गफुट का था मंदिर का क्षेत्रफल, अब 5 लाख वर्गफुट में फैला है पूरा परिसर
बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर का दायरा पहले लगभग 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में श्री काशी विश्वनाथ धाम लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में विस्तारित हो गया है। इसके अलावा 60 किलो स्वर्ण से शिखर तक इसकी आभा भी दमकने लगी है। इसके पहले 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के शिखर को लगभग 22 मन सोने से स्वर्ण मंडित कराया था। इससे भी पहले 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।