उत्तर प्रदेश

जलवायु परिवर्तन को लेकर सीएम योगी की परिकल्पना को आगे बढ़ाया जा रहा: दारा सिंह

लखनऊ: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परिकल्पना को आगे बढ़ाया जा रहा है। देश का पहला राज्य उत्तर प्रदेश है, जो जलवायु परिवर्तन को लेकर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दो दिवसीय 28 और 29 अक्तूबर को "उत्तर प्रदेश […]

लखनऊ: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परिकल्पना को आगे बढ़ाया जा रहा है। देश का पहला राज्य उत्तर प्रदेश है, जो जलवायु परिवर्तन को लेकर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दो दिवसीय 28 और 29 अक्तूबर को "उत्तर प्रदेश क्लाइमेट चेंज कांक्लेव-2021" का आयोजन कर रहा है। इसमें देश और दुनिया के तमाम एक्सपर्ट अपनी राय रखेंगे और जलवायु परिवर्तन का समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।

यह बातें उन्होंने मंगलवार को गोमतीनगर में एक होटल में कहीं। इस दौरान उन्होंने कांक्लेव-2021 के लोगों का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है और स्कॉटलैंड में 31 से 12 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस होने जा रही है। इसमें बहुत सारे देशों के प्रतिनिधि अपनी बात रखेंगे और जलवायु परिवर्तन के उपायों पर चर्चा करेंगे। जलवायु परिवर्तन को लेकर समाज के हर तबके को जागरूक होना जरूरी है। तभी हम इस समस्या से निजात पा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि कांक्लेव का उद्घाटन सीएम योगी करेंगे। कांक्लेव में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, चुनौतियों, समाधानों पर शिक्षाविद और वैज्ञानिक आदि विचार रखेंगे। सम्मेलन में कुल 11 सत्र होंगे। पहले दिन पांच सत्र और दूसरे दिन छह सत्र हैं। कांक्लेव के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता केंद्रीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन एवं परिवर्तन मंत्रालय अश्विनी कुमार चौबे, केंद्रीय राज्यमंत्री इस्पात एवं ग्रामीण विकास विभाग फगन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय राज्यमंत्री संसदीय कार्य एवं संस्कृति मंत्रालय अर्जुन राम मेघवाल करेंगे। इसके अलावा भारत में ताइवान सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधि राजदूत बौशुआन गेर ने भी अपनी सहमति दी है। कांक्लेव में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार भी उपस्थित रहेंगे। जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, आईआईटी दिल्ली और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आदि के विभिन्न विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे और विचार रखेंगे। इस दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह सहित कई विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

सम्मेलन दुष्प्रभावों से बचाव और समाधान खोजने की दिशा में अद्वितीय मंच के रूप में करेगा कार्य
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि स्थानीय स्तर पर इसके प्रभावों को कम करने के लिए प्रयास किए जाएं। लखनऊ में होने वाले सम्मेलन में शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं सहित विभिन्न विद्वानों के बहुमूल्य सुझावों और विचारों से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचाव और समाधान खोजने की दिशा में यह सम्मेलन एक अद्वितीय मंच के रूप में कार्य करेगा। संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के शब्दों में, "ग्लोबल वार्मिंग तेज हो रही है। 1950 के दशक से देखे गए कई परिवर्तन दशकों से सहस्राब्दियों तक अभूतपूर्व है।" जैसे-जैसे जलवायु संकट की तात्कालिकता तेज होती है, वैसे-वैसे हमें अपने संसाधनों के माध्यम से सबसे अधिक प्रभावी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है।

Comment here