उत्तर प्रदेश

बदलाव : गन्ना आपूर्तिकर्ता किसानों को एमएसएस पर मिलने लगी गन्ना पर्ची

लखनऊ: गन्ना खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग हो या फिर आपूर्तिकर्ता किसानों का समय से भुगतान। राज्य सरकार ने नवीन तकनीकी, पोर्टल व एप के माध्यमों से किसानों को बड़ा सहारा दिया है। अपने साढ़े 4 साल के कार्यकाल में सरकार ने अनेक ऐसे कदम उठाये हैं जिनसे गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में […]

लखनऊ: गन्ना खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग हो या फिर आपूर्तिकर्ता किसानों का समय से भुगतान। राज्य सरकार ने नवीन तकनीकी, पोर्टल व एप के माध्यमों से किसानों को बड़ा सहारा दिया है। अपने साढ़े 4 साल के कार्यकाल में सरकार ने अनेक ऐसे कदम उठाये हैं जिनसे गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में लगातार वृद्धि होती जा रही है। अब किसानों को कागज की पर्ची की जगह मोबइल पर पर्ची एसएमएस के रूप में मिलने लगी है। ऑनलाइन पोर्टल 'caneup.in' एवं 'E-Ganna' ऐप से सर्वे, सट्टा, कलेण्डर, पर्ची और भुगतान सम्बन्धी सूचना प्रदेश के गन्ना किसानों को समय पर उपलबध हो रही है। एंटरप्राइज रिसोर्स प्लैनिंग (ई.आर.पी.) से पर्ची निर्गमन कार्य में पूरी पारदर्शिता लाई गई है।

राज्य सरकार की पहल से प्रदेश के लगभग 45 लाख गन्ना आपूर्तिकर्ता कृषकों को समय से एसएमएस (SMS) गन्ना पर्ची उपलब्ध करायी। इससे पहले कागज की गन्ना पर्ची किसानों को दी जा रही थी। इससे पहले की सरकारों ने कभी इन व्यवस्थाओं को किसानों के लिए लागू नहीं किया था। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 167 सहकारी गन्ना समितियों के वित्तीय लेन-देन, कृषि निवेशों का वितरण किसानों को ऋण एवं अनुदान वितरण गन्ना मूल्य भुगतान आदि समस्त कार्यों हेतु वैब बेस्ड केन्द्रीयकृत व्यवस्था ने मजबूत बनाया है। प्रदेश के 44.40 लाख कृषकों ने 'E-Ganna' एप डाउनलोड किया, 16.48 करोड़ बार कृषकों ने www.caneup.in वेबसाइट पर अपनी सूचना देखी है। इतना ही नहीं गत वर्षों के मुकाबले सर्वाधिक गन्ना किसानों की ब्रांडिंग की गयी जो 45.74 लाख है। इनमें 9.43 लाख छोटे कृषक हैं और उनको 31.73 लाख पर्चियां भी जारी की गई हैं।

16 करोड़ की 33 सम्पत्तियां कब्जों से मुक्त कराई गईं
राज्य सरकार ने गन्ना समितियों की सम्पत्तियों को अतिक्रमण से मुक्त कराने एवं उन्हें सुरक्षित करने का भी विशेष अभियान चलाया है। साढ़े 4 साल के कार्यकाल में गन्ना समितियों की सभी 968 सम्पत्तियों को चिन्हित कर उनकी जियो-मैपिंग करायी गयी। इन सम्पत्तियों में से 65 अतिक्रमित सम्पत्तियां भू-माफिया पोर्टल पर दर्ज हुईं, इनमें से लगभग 16 करोड़ रुपये की 33 सम्पत्तियां कब्जे से मुक्त करायी जा चुकी हैं।

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