स्वामी सहजानन्द सरस्वती अपने युग-धर्म के अवतार थे। वे नि:संग थे। अपने समय के पदचाप के आकुल पहचान थे। किसान विस्फोट के प्रतीक थे। किसान आंदोलन के पर्या
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