हनुमानजी सप्तचिरंजीवों में से एक हैं । अर्थात सदैव जीवित रहने वाले । हनुमानजी ने त्रेतायुग में श्रीरामजी की अवतार समाप्ति के उपरांत भी द्वापार युग में
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