लखनऊ: राह बिना बहुत दिक्कत होत रहल। चारों तरफ से घेर दिहले रहलअ। कौनो राहि नाहि देखाइत रहल कि का करीं। ई हमरे खरतिन सपना जइसन हवे। ओहर बाबा
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