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विधान परिषद चुनाव में झटके के बाद संकट में उद्धव सरकार

कल देर शाम हुए चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे और 13 अन्य विधायकों से शिवसेना का संपर्क नहीं हो रहा है। शिवसेना के यह सभी विधायक गुजरात के सूरत में डेरा जमा लिए हैं। माना जा रहा है कि शिंदे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में है। जिनसे भाजपा नेतृत्व की बातचीत चल रही है और इनकी बदौलत कभी भी भगवा पार्टी उद्धव सरकार को झटका दे सकती हैं।

मुंबई: महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन को झटका दिया है। पर्याप्त वोट न होने के बावजूद भाजपा ने 10 में से 5 सीटें अपनी झोली में डाल ली है। इससे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की चिंता बढ़ा दी है। कल देर शाम हुए चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे और 13 अन्य विधायकों से शिवसेना का संपर्क नहीं हो रहा है। शिवसेना के यह सभी विधायक गुजरात के सूरत में डेरा जमा लिए हैं। माना जा रहा है कि शिंदे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में है। जिनसे भाजपा नेतृत्व की बातचीत चल रही है और इनकी बदौलत कभी भी भगवा पार्टी उद्धव सरकार को झटका दे सकती हैं।

मराठी मीडिया चैनलों की रिपोर्टों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से ऐसी अफवाहें चल रही थीं कि एकनाथ शिंदे पार्टी के कामकाज से खुश नहीं थे। विधान परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद बीती रात सभी विधायक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘वर्षा’ में मिले। इस बैठक से एकनाथ शिंदे और 13 अन्य विधायक गायब थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एकनाथ शिंदे गुजरात में हैं। वहीं, इस बाबत शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि वे सभी गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सोमवार को चुनाव तो विधान परिषद की 10 सीटों के लिए था, लेकिन उससे मची हलचल ने उद्धव ठाकरे की सरकार को ही संकट में ला दिया है। भाजपा ने 134 वोट हासिल करते हुए 5 सीटें जीत ली हैं, जबकि उसके पास क्षमता सिर्फ 4 सदस्यों को ही जिताने की थी। यह जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि राज्यसभा चुनाव में भाजपा को 123 वोट मिले थे और इस बार उसके मुकाबले 11 वोट अधिक हासिल किए हैं।

यही नहीं चुनाव नतीजे आने से पहले से ही एकनाथ शिंदे समेत 13 विधायकों के संपर्क न होने से शिवसेना की मुश्किल और बढ़ गई है। उसके लिए चिंता की बात यह है कि कांग्रेस ने दो उम्मीदवार खड़े किए थे और उसका एक ही उम्मीदवार जीता। ऐसे में एक तरफ गठबंधन में असंतोष है तो वहीं शिवसेना को खुद अपने ही विधायकों को साधने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।