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शिल्पी दुर्गा रेगन बने इस माह जोनाई प्रेस क्लब के विशिष्ट अतिथि

जोनाईः प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस माह का अतिथि कार्यक्रम में जोनाई के विशिष्ट, समाजिक व्यक्ति तथा शिल्पी पेन्सनर दुर्गा रेगन को अतिथि के रुप में बुलाया गया। जोनाई नासारसुक ओकुम में आयोजित कार्यक्रम में श्री रेगन के साथ ही उनकी पत्नी आरती रेगन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुई। मालुम हो कि श्री रेगन […]

जोनाईः प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस माह का अतिथि कार्यक्रम में जोनाई के विशिष्ट, समाजिक व्यक्ति तथा शिल्पी पेन्सनर दुर्गा रेगन को अतिथि के रुप में बुलाया गया। जोनाई नासारसुक ओकुम में आयोजित कार्यक्रम में श्री रेगन के साथ ही उनकी पत्नी आरती रेगन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुई। मालुम हो कि श्री रेगन ब्रिटिसराज के समय नेफा (नार्थ ईस्ट फ्रांटियर एजेंसी) से लेकर आधुनिक मुरकंगसेलेक बनने तक कई महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया।

जोनाई प्रेस क्लब के अध्यक्ष रोयल पेगु की संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री रेगन ने बताया कि तत्कालिन नेफा अधिन मुरकंग सेलेक अंचल में शदिया फ्रंटियर ट्रेक के अधिन सहायक राजनैतित अधिकारी के द्वारा शासन कार्य चलाया जाता था।

वहीं असम के पहले प्रधानमंत्री (अब मुख्यमंत्री पद) गोपीनाथ बरदलै के दिन में मुरकंग सेलेक अंचल को नेफा से असम में शामिल किया गया। जिसे 1953 में मुरकंग सेलेक जनजाति अधिघोषित अंचल के रुप में घोषित किया गया। नेफा से असम में शामिल होने के बाद सरकार द्वारा भुमि, स्वास्थय, शिक्षा तथा यातायात जैसी मौलिक व्यवस्था नही करने पर इस अंचल के लोगों ने पुनः नेफा में वापस जाने के लिये आंदोलन करने के लिये समिति का गठन कर आंदोलन शुरु किया। 1977 में सेनीराम रेगन को अध्यक्ष तथा दुनेश्वर मोदी को आह्वायक के रुम में नियुक्त कर संग्राम समिति के सदस्य शिवराम पेगु, बिरेन दलै, माधव पाव, पाकपां मेदक, दुर्गा रेगन, नंदेश्वर रेगन, पद्म पेगु सहित कई अन्य सदस्य दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री को अपनी समस्या के संदर्भ में एक स्मारक पत्र प्रदान किया।

वहीं संग्राम समिति द्वारा आंदोलन तेज करने पर दुर्गा रेगन, दुनेश्वर मोदी, नंदेश्वर रेगन, बिश्टुराम कुम्बांग, नानेश्वर सीराम, लंकेश्वर कुम्बांग, सनातन दलै तथा अन्य कई नेताओं को गिरफ्तार कर लखीमपुर जेल में 17 दिनों तक रखा गया। इस आंदोलन के प्रभाव से सरकार ने 1979 में मुरकंग सेलेक ट्रांसफर अंचल को जोनाई महकमा के रुप में घोषणा किया। इस माह के अतिथी कार्यक्रम में श्री रेगन ने 1950 में आये प्रलयंकारी भुकंप के बारे में बताते हुए कहा कि भुकंप के बाद उंची स्थान को खोज कर स्थानीय लोगो ने जोनाई के विभिन्न गांवों में बस गये। उस समय खादान्नो की कमी के कारण भुकंप के दौरान लोगो को मिठा आलु तथा केले के पत्तो को खाने की नौबत आ गई थी। जोनाई में ज्ञान की ज्योति फैलने वाले तथा अपनी स्थापना का स्वर्ण जंयती मना चुके जोनाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना के बारे में भी उन्होने कई अनजानी बातों को भी बताया।

साथ ही श्री रेगन ने जोनाई की चहुँ विकास के लिये कहा की स्थानिय भुमिपुत्रों को भुमि का पट्टा देने के बाद टाउन कमिटी का गठन करने पर ही जोनाई की विकास को पंख मिलेगी। वहीं हाल ही में राज्य सरकार की ओर से शदिया और मुरकंग सेलेक जनजाति अधिघोषित अंचल में गोर्खा, आहोम, सुतिया, कोच राजवंशी समाज को सुरक्षित समाज की दर्जा देकर भुमि अधिकार देने के निर्णय पर कहा कि इससे शदिया और मुरकंग सेलेक जनजाति अधिघोषित अंचल को क्षति पुहँचेगी। का आंदोलन पर बोलते हुए श्री रेगन ने इसे पुनः जोरदार तरीके से करने का आह्वान विभिन्न दल-संगठनों से किया।

वहीं मिसिंग भाषा के विकास पर बोलते हुए श्री रेगन ने मिसिंग भाषा शिक्षक नियुक्ति के लिये मिसिंग भाषा में टेट परिक्षा करने के लिये राज्य सरकार से मांग की। साथ ही उन्होने नव युवाओं को प्रतियोगितामुलक तथा कर्म संस्कृति में ढालने के लिये समाज के सभी वर्गों से अपील की। इस कार्यक्रम में जोनाई प्रेस क्लब के महासचिव मनोज कुमार प्रजापति ने श्री रेगन को फुलाम गमछा से सम्मानित किया। इस अवसर पर जोनाई प्रेस क्लब के सहसचिव हरेन सारह , पदेन सदस्य गौतम पेगु, भास्कर ज्योति तायेंग , करबी दलै, अनोज कुमार प्रजापति, अशोक पारिक, प्राणजीत दलै और लेखक विजय बोरी उपस्थित थे।

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