नई दिल्लीः एक तरफ वो किसान हैं जो इस कड़कड़ाती ठंड में केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। तो दूसरी तरफ पंजाब सरकार है जो बाहर से तो ये दिखा रही है कि वो इन कृषि कानूनों के विरोध में हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पंजाब सरकार ने अंदर ही अंदर केन्द्र के इन तीनों कृषि कानूनों को न केवल लागू कर दिया है बल्कि इन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के तहत किसानों के फसल खरीदी गई और भविष्य में भी इन कानूनों के तहत ही फसल की खरीदी का फैसला लिया गया है। पंजाब के कृषि मंत्री भारत भूषण आसू ने इस बात की पुष्टि प्रेस वार्ता के दौरान की है। आखिर ऐसा क्या हुआ की केंद्र सरकार का कृषि कानून जिसे पंजाब के किसान और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के लोग विवादित कानून मानते हैं उसको राज्य में लागू कर दिया गया?
न्यूजरूम पोस्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को किसानों के खिलाफ बताकर अपनी विधानसभा में तीन के बदले चार कानून पास कर चुकी है। इसमें किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020 और कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल, 2020 शामिल हैं। आखिर पंजाब सरकार ने जब ये किसान हितैषी बिल अपनी विधानसभा से पास करा लिए तो फिर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को राज्य में लागू क्यों किया।
बहरहाल, पंजाब में इन्हीं तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के तहत किसानों के फसल की खरीदी की गई और भविष्य में भी इन कानूनों के तहत ही फसल की खरीदी का फैसला लिया गया है। इस बात को किसी और ने नहीं बल्कि प्रेस वार्ता के दौरान पंजाब सरकार के कृषि मंत्री भारत भूषण आसू ने स्वीकारा। उन्होंने इस प्रेस वार्ता के दौरान यह भी कहा कि आगामी गेहूं की खरीद भी केंद्रीय कानूनों के तहत ही की जाएगी।
इतना तो साफ हो चुका है कि पंजाब सरकार सिर्फ दिखावे के लिए इन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रही हो लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अगल है। इन तीन कृषि कानूनों के लागू होने की सबसे बड़ी हकीकत राज्य में ये है कि राज्य के खाद्य व आपूर्ति विभाग ने इन्हीं कानूनों के तहत धान की खरीद की और बाहर के किसानों को भी अपनी फसल बेचने का मौका दिया। इस बार इसी के तहत पंजाब में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा फसल की खरीदी हुई है। ऐसे में ये बात साफ हो चुकी है कि इन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का भले ही पंजाब सरकार विरोध का दिखावा कर रही हो लेकिन वास्तव में मोदी सरकार के कानून उन्हें भा गए हैं।
हालांकि, उन बेचारे किसानों का क्या जो बेचारे इतनी भीषण ठंड के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और उन्हें ये लग रहा है कि पंजाब सरकार उनके साथ है। पंजाब सरकार का ये फैसला देखकर तो यही लगता है कि कृषि कानूनों का विरोध करना उनकी मजबूरी है क्योंकि ये मोदी सरकार द्वारा लाए गए हैं और ये धरना प्रदर्शन एक राजनीतिक स्टंट से ज्यादा कुछ भी नहीं है। तो अब सवाल ये उठता है कि जिन किसानों ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाई है उसकी जिम्मेदारी क्या पंजाब सरकार लेगी?
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