मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कादिमी कब्रिस्तान पर जल्द ही मेट्रो ट्रेन दौड़ाने की तैयारी ज़ोर-शोर से जारी है। यानि कि अब मुर्दो के सीनो पर दौड़ेगी मेट्रो ट्रेन।
भोपाल के बीचो बीच मदारवाड़ा कब्रिस्तान जो की भारत टाकीज़ के सामने केपिटल होटल के पीछे स्थित है। जिस का खसरा क्रमांक 1196,1197,1198,1199 एवं 1200 गजट नोटिफिकेशन नवंबर 1961 पर व सरल क्रमांक 384 पर कब्रिस्तान के रूप मेँ प्रकाशन हुआ है ! जिस का कुल क्षेत्रफल तीन एकड़ 14 डिसमिल है।
ये कब्रिस्तान वक्फ रजिस्टर में 288 नंबर पर वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है और मध्य प्रदेश राज्य वक़्फ़ अधिकार अधिकरण भोपाल द्वारा प्रकरण क्रमांक 649 /1995 में अंतिम आदेश पारित किया गया था,जिसमें उक्त संपत्ति को वक्त संपत्ति माना गया था।
वही रेलवे लाइन से सीधे-सीधे जाते-जाते मेट्रो रातो-रात अपना रास्ता बदलकर कब्रिस्तान की ओर घुस जाती है ! अब मेट्रो लाइन का निर्माण करने वाले अधिकारियों का कहना है कि कब्रिस्तान के ऊपर मेट्रो का ट्रैक एवं स्टेशन आएगा ! ना कोई आदेश न कोई इजाजत नामा अपनी अंधी रफ्तार से कब्रिस्तान में घुस गई मेट्रो।
यह वकफ़िया कब्रिस्तान आजादी से पूर्व का है जहां कच्ची पक्की कब्रऐ आज भी मौजूद है। जिसमें किसी का बाप,किसी का दादा, किसी की औलाद, किसी की मां और बेटी दफन है।
मेट्रो का रुख कब्रिस्तान की ओर होने से मुस्लिम समुदाय ने अपना रोष प्रकट किया, जिसके चलते आज मुस्लिम महासभा कि और से मुनव्वर अली ख़ान एवं इरशाद अली ख़ान ने एक ज्ञापन वक्फ बोर्ड के चेयरमेन डॉ सनव्वार पटेल को देते हुये जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की बात कही।
इरशाद अली ने बताया कि ये कब्रिस्तान भोपाल का कदीमी कब्रस्तान है। जिससे भोपाल की आवाम की निस्बत जुड़ी हुई है, भोपाल के बुजुर्गों के साथ कई खानदान के लोग दफन है। मुनव्वर अली ने कब्रिस्तान से जुड़े दस्तावेजों को भी बोर्ड के अध्यक्ष के समक्ष रखते हुये कहा की इस तरह के अवैध निर्माण को रोका जाना चाहिए और किसी भी समुदाय की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, “हमें आपके द्वारा आज सूचना मिली है हम इस पर जल्द से जल्द कार्यवाही करेंगे और किसी भी हालत में कब्रिस्तान और कब्रों की बेहूरमती नहीं होने दी जाएगी।”
अब देखना यह है कि यह बेलगाम मेट्रो अपना रास्ता बदलती है या मुर्दो के सीनो पर दौड़ेगी?