जोनाईः असम के जिले के जोनाई महकमा में भी महकमा प्रशासन के तत्वावधान में और महकमा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग कार्यालय के सहयोग से आज जनसंपर्क विभाग के कार्यालय के प्रांगण के प्रेक्षागृह में देशभक्त तरुण राम फुकन की 82वीं पुण्यतिथि पर आज के दिन देशभक्ति दिवस के रूप में मनाया गया। जिसमें महकमा के चुनाव अधिकारी व भार प्राप्त महकमा तथ्य एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी गायत्री पातिर ने देशभक्त तरुण राम फुकन की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की और दीप प्रज्वलित कर सभा का शुभारंभ किया।
चुनाव अधिकारी गायत्री पातिर ने देशभक्त तरुण राम फुकन के जीवन पर प्रकाश डाला। महकमा के चुनाव अधिकारी व भारप्राप्त महकमा तथ्य एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी गायत्री पातिर ने महकमा प्रशासन के तरफ से अवकाशप्राप्त खंड विकास अधिकारी राखेश्वर पायेंग और जोनाई प्रेस क्लब के अध्यक्ष गौतम पेगु, पत्रकार करबी दलै, मनोज कुमार प्रजापति, अशोक पारिक आदि लोगों को फुलाम गामोछा से सम्मानित किया। इस अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग कार्यालय के निम्न वर्ग के सहायक मंगल बोडो, हितेश नाथ, चतुर्थ वर्ग कर्मचारी गिरिश कुमार मोदी और जीवन गोगोई ने आज महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अवकाश प्राप्त खंड विकास अधिकारी व राखेश्वर पायेंग ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देशभक्त तरुण राम फुकन का जन्म 22 जनवरी 187 को गुवाहाटी के भरलुमुख में हुआ था। 1893 में कटन कलेजियेट स्कूल से एंट्रेंस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। तरुण राम फुकन ने सन् 1893-1896 तक कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे सन् 1901 में इंग्लैंड चले गए थे। वहाँ से बैरिस्टरी की शिक्षा लेकर वे कोलकाता चले गए थे। सन् 1905 से कोलकाता हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। उनकी वकालत का क्रम अधिक दिनों तक नहीं चल सका। वे वकालत छोड़कर कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। गांधी जी का उनके जीवन पर पूरी तरह से गहरा प्रभाव पड़ा था। 1921 में गांधी जी की असम प्रदेश यात्रा में वे पूरे समय गांधी जी के साथ रहे थे। 1926 की गुवाहाटी कांग्रेस के वे स्वागताध्यक्ष थे। उसी वर्ष कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य भी चुने गए। तरुण राम फुकन स्वराज्य पार्टी में थे। इसके प्रचार में उनका अग्रणी हाथ था। तरुण राम फुकन की मृत्यु 28 जुलाई 1939 को हो गई।
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