राज्य

जोनाई की सार्वजनिक धर्मशाला पर सांवरमल अग्रवाल और शिवकुमार सोरहिया का अवैध कब्जा

जोनाईः असम के धेमाजी जिले के जोनाई महकमा के बीचों-बीच स्थित सरकारी पूंजी से निर्मित सार्वजनिक धर्मशाला पर अवैध कब्जा जमाकर 5 दुकानों और 4 गोदामों से करीब 20 वर्षों से प्रति माह किराया वसूली करने और अपने परिवार के सदस्यों को लेकर एक कागजी कमेटी के जरिये सार्वजनिक धर्मशाला चलाने का आरोप लगाया जा […]

जोनाईः असम के धेमाजी जिले के जोनाई महकमा के बीचों-बीच स्थित सरकारी पूंजी से निर्मित सार्वजनिक धर्मशाला पर अवैध कब्जा जमाकर 5 दुकानों और 4 गोदामों से करीब 20 वर्षों से प्रति माह किराया वसूली करने और अपने परिवार के सदस्यों को लेकर एक कागजी कमेटी के जरिये सार्वजनिक धर्मशाला चलाने का आरोप लगाया जा रहा है। जोनाई बाजार के इस सार्वजनिक धर्मशाला को लेकर आरोप के बाद आज विभिन्न समाचार पत्रों के स्थानीय संवाददाताओं का एक दल सार्वजनिक धर्मशाला परिसर में पहुंचा।

इस धर्मशाला में किराये पर होटल की दुकान करने वाले अंजली होटल के मालिक अखिलेश सिंह ने बताया कि वह प्रतिमाह किराये के रूप में 2500 रुपए, शुरेश इलेक्ट्रॉनिक दुकान के मालिक शुरेश सहनी का किराया प्रतिमाह 2000 रुपए, शरीफ अली का किराया प्रतिमाह 1000 रुपए, नरेश सहनी की किराना दुकान का किराया प्रतिमाह 2000 रुपए और जीवनजीत सोरहिया जैरेक्स दुकान का प्रतिमाह किराया 2000 प्रतिमाह दिया जाता है। 

इतना ही नहीं इन दुकानों के पीछे धर्मशाला में बनाये गये चार बड़े-बड़े कमरों को सावरमल अग्रवाल नामक हार्डवेयर व्यवसायी ने सीमेंट और सरिया आदि रखने के लिये गोदाम के रुप में उपयोग कर रहे है।

इस संदर्भ में उपस्थित संवाददाताओं के दल ने दुकानदारों से पूछने पर बताया कि प्रतिमाह किराया के रूप इतनी बड़ी धनराशि सांवरमल अग्रवाल और शिवकुमार सोरहिया को दिया जाता है। वहीं इन किरायेदारों ने बताया कि सांवरमल अग्रवाल और शिवकुमार सोरहिया  किराया लेने के बाद रसीद भी नहीं देते हैं। 

उल्लेखनीय है कि इस सार्वजनिक धर्मशाला में सांसद, विधायक और एमएसी की ओर से  सरकारी पूंजी और अनुदान दिया गया है। सरकारी धनराशि से निर्मित उक्त धर्मशाला पर कैसे कोई अवैध रूप से कब्जा कर अपने परिवार के सदस्यों को लेकर कागजी कमेटी बनाकर  चला रहा हैं, यह जांच का विषय है।  

सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जोनाई की इस धर्मशाला का अध्यक्ष सांवरमल अग्रवाल और सचिव शिवकुमार सोरहिया हैं। जो प्रतिमाह किराये के रूप में भाड़ा उठाकर अपनी जेबें भर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने सरकारी पूंजी से निर्मित सार्वजनिक धर्मशाला को अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार से मांग की है।

Comment here