ईटानगरः 22वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर ईटानगर राजभवन में आज एक माल्यार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कोविद महामारी सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर बी डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने श्रद्धांजलि अर्पित की और माल्यार्पण किया तथा भारतीय सशस्त्र बलों के जवानों के कारगिल युद्ध के दौरान अदम्य साहस और सर्वाेच्च बलिदान के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्य की प्रथम महिला नीलम मेस्ता तथा उपमुख्यमंत्री चौना मीन, मेजर जनरल जीएस बिष्ट (सेवानिवृत्त), मेजर जनरल केन गैमलिन (सेवानिवृत्त), राज्य के मुख्य सचिव राज्य नरेश कुमार मेजर जनरल एस.सी. मोहंती (सेवानिवृत्त) और एयर कमोडोर आर.डी. मोरेट्स (सेवानिवृत्त) राज्य सैनिक बोर्ड के संचालक व सह सचिव ने भी पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राज्यपाल ने उन चुनौतियों पर प्रकाश डाला जिनका इस युद्ध में भारतीय सैनिकों को सामना करना पड़ा था। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के 527 शहीद वीरों के पराक्रम और सर्वाेच्च बलिदान को याद किया जिनकी बहादुरी और वीरता के परिणामस्वरूप कारगिल हाइट्स से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया गया था।
सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वेच्छा से कारगिल युद्ध में शामिल होने वाले गवर्नर ने युद्ध का पूरा विवरण दिया। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान में लड़ा गया था। यह सैन्य दृष्टि से भारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात है। राज्यपाल ने कहा कि कारगिल विजय दिवस हर साल उचित तरीके से नियमित रूप से मनाया जाना चाहिए ताकि हमारे देश की युवा राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय एकता, अखंडता और देशभक्ति की ओर प्रेरित हों सकें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक नागरिक को भारत की रक्षा के लिए कारगिल शहीदों और भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के जुनून और भावना को आत्मसात करना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि करीब 22 साल पहले कारगिल की चोटियों में अंकित कारगिल युद्ध की जीत कई पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने कहा कि कारगिल में जीत ‘भारत की शक्ति और धैर्य’ के संकल्पों की जीत थी तथा भारत की गरिमा और अनुशासन और जीत हर भारतीय की अपेक्षाओं और कर्तव्यपरायणता की जीत थी। उपमुख्यमंत्री ने सशस्त्र बलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई पहलों पर भी प्रकाश डाला।
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