नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कल जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के केंद्रीय क्षेत्र की योजना प्रस्ताव पर विचार किया और इसकी स्वीकृति दी। योजना 28,400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ वर्ष 2037 तक स्वीकृत की गई है।
भारत सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र क्षेत्र की योजना के रूप में जम्मू-कश्मीर के लिए नई औद्योगिक विकास योजना (जेएंडकेआईडीएस, 2021) तैयार की है। योजना का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना है, जिससे क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अंतर्गत 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के रूप में पुनर्गठित करने के ऐतिहासिक विकास पर विचार करते हुए वर्तमान योजना इस विजन के साथ लागू की जा रही है कि रोजगार सृजन, कौशल विकास और नए निवेश आकर्षित करके तथा वर्तमान उद्योगों को विकसित करके जम्मू और कश्मीर के उद्योग और सेवा क्षेत्र का विकास हो सके।
योजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रोत्साहन उपलब्ध होंगे :
पूंजी निवेश प्रोत्साहन संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में) निवेश या भवन निर्माण अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) निवेश पर जोन-ए में 30 प्रतिशत तथा जोन-बी में 50 प्रतिशत की दर पर पूंजी निवेश प्रोत्साहन उपलब्ध है। 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली इकाइयां इस प्रोत्साहन का लाभ उठाने की पात्र होंगी। जोन-ए तथा जोन-बी में प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा क्रमशः 5 करोड़ रुपये तथा 7.5 करोड़ रुपये है।
पूंजी ब्याज सहायता:
संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में)या भवन निर्माण तथा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) निवेश के लिए 500 करोड़ रूपये तक की ऋण राशि पर अधिकतम 7 वर्षों के लिए 6 प्रतिशत वार्षित दर से पूंजी ब्याज सहायता।
जीएसटी से जुड़ा प्रोत्साहन :
10 वर्ष के लिएसंयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में) या भवन निर्माण तथा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) में वास्तविक निवेश के 300 प्रतिशत पात्र मूल्य तक प्रोत्साहन एक वित्तीय वर्ष में प्रोत्साहन राशि प्रोत्साहन की कुल पात्र राशि से एक दहाई से अधिक नहीं होगी।
कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता :सभी वर्तमान इकाइयों को अधिकतम 5 वर्षों के लिए 5 प्रतिशत वार्षिक दर से प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपये है।
योजना की प्रमुख विशेषताएं :
योजना छोटी और बड़ी दोनों तरह की इकाइयों के लिए आकर्षक बनायी गई है। संयंत्र और मशीनरी में 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली छोटी इकाइयों को 7.5 करोड़ रुपये तक पूंजी प्रोत्साहन मिलेगा और अधिकतम 7 वर्षों के लिए पूंजी ब्याज सहायता 6 प्रतिशत की दर से मिलेगी।
योजना का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में ब्लॉक स्तर तक औद्योगिक विकास को ले जाना है। यह भारत सरकार की पहली बार शुरू की गई कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है तथा संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश में स्थायी तथा संतुलित औद्योगिक विकास के लिए प्रयास है।
जीएसटी से जुड़े प्रोत्साहन को शामिल करके योजना को व्यापार-सुगमता के अनुरूप सहज बनाया गया है। जीएसटी से जुड़ा प्रोत्साहन पारदर्शिता से समझौता किये बिना अनुपालन बोझ को कम करना सुनिश्चित करेगा।
योजना के पंजीकरण और क्रियान्वयन में केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर की बड़ी भूमिका निर्धारित की गई है। दावे स्वीकृत करने से पहले स्वतंत्र ऑडिट एजेंसी द्वारा उचित नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था की गई है।
यह जीएसटी की अदायगी या वापसी नहीं है बल्कि केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर के नुकसान की भरपाई के लिए सकल जीएसटी का इस्तेमाल औद्योगिक प्रोत्साहन की पात्रता निर्धारित करने में होता है।
पहले की योजनाओं में अनेक प्रोत्साहनों की पेशकश की गई थी लेकिन उनका संपूर्ण वित्तीय प्रवाह नई योजना से काफी कम था।
प्रमुख प्रभाव तथा रोजगार सृजन क्षमता :
योजना का उद्देश्य रोजगार सृजन, कौशल विकास,नए निवेश को आकर्षित करके तथा वर्तमान निवेशों को विकसित करके स्थायी विकास पर बल के साथ जम्मू और कश्मीर के वर्तमान औद्योगिक इकोसिस्टम में मौलिक परिवर्तन करना है, जिससे जम्मू और कश्मीर राष्ट्रीय स्तर पर देश के औद्योगिक रूप से विकसित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के साथ स्पर्धा करने में सक्षम हो सके।
आशा है कि प्रस्तावित योजना से अप्रत्याशित निवेश आकर्षित होगा तथा लगभग 4.5 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता के कारण योजना लगभग 35,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देगी।
शामिल व्यय :
प्रस्तावित योजना का वित्तीय परिव्यय योजना अवधि 2020-21 से 2036-37 के लिए 28,400 करोड़ रुपये है। अभी तक विभिन्न स्पेशल पैकेज योजनाओं के अंतर्गत 1,123.84 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
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