लखीमपुर (असम): असम के प्रख्यात बुद्धिजीवी, पत्रकार, लेखक, सम्पादक, साहित्यिक कवि, समालोचक असम साहित्य सभा के भूतपूर्व सभापति होमेन बरगोहाई का 89 साल की आयु में आज सुबह 6 बजबर 58 मिनट पर गुवाहाटी के जीएनआरसी अस्पताल में उनका देहावसान हो गया। उनका जन्म 5 दिसम्बर 1932 को धकुवाखना में हुआ था। उनके निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक का माहौल व्याप्त हो गया। पिछले दिनों कोविड पाॅजिटिव होने पर उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा के लिए भर्ती किया गया था। वह स्वस्थ होकर अपने घर गत 7 मई को आ गए थे, पर फिर से तबियत खराब होने पर उन्हें जीएनआरसी ले जाया गया, पर इस बार उन्हें बचाया नहीं जा सका।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री होमेन बोर्गोहिन के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘श्री होमेन बोर्गोहिन असमी साहित्य तथा पत्रकारिता में अपने बहुमूल्य योगदान के लिए याद किए जाएंगे। उनका कृतियां असम के जीवन तथा संस्कृति के विविध पहलुओं को परिलक्षित करती हैं। मैं उनके निधन से दु:खी हूं। उनके परिवारजनों तथा प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शान्ति।’
उन्होंने अपनी रचनाओं से असमिया साहित्य के भंडार को समृद्ध किया है। ”अष्टराग“ और “पिता-पुत्र” इनकी अमर कृतियां हैं। इन्होने कई पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक की जिम्मेदारी निभाई थी। मृत्यु के समय तक वे ”नियमिया वार्ता“ नामक असमिया दैनिक के सम्पादक रहे। सन 1978 में पिता-पुत्र नामक असमिया उपन्यास के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
उनके निधन पर राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, धकुवाखना प्रेस गिल्ड, नार्थ लखीमपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष और सचिव द्वय शैलेंन बरुवा व करुना कृष्ण नाथ, लखीमपुर जिला पत्रकार संस्था, मंगलबोध जागरण केंद्र के संचालक जीतेंन बरुवा, उत्तर लखीमपुर आंचलिक छात्र संस्था, मारवारी सम्मेलन, लखीमपुर के अध्यक्ष बलवान शर्मा और सचिव राजकुमार सराफ, जन सेवा (एनजीओ) के अध्यक्ष राजेश मालपानी और सचिव प्रभात कुमार सिंह चेंबर ऑफ कोमर्स लखीमपुर के अध्यक्ष रामेश्वर तापरिया, लखीमपुर जिला कांग्रेस,कोच राजबंशी संग्राम समिति की केंद्रीय समिति के उपाध्यक्ष रुप ज्योति दत्त, मंगलमय पत्रिका के संपादक संजीव उपाध्याय आदि संस्था संगठनो ने शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति व सद्गति की कामना कर ईश्वर से प्रार्थना की। साथ ही शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की है। स्व होमेन बरगोहाई के निधन से असमिया साहित्य व असम के समाज जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है।
Comment here
You must be logged in to post a comment.