जोनाईः असम के धेमाजी जिले के जोनाई महकमा के बाहिर जोनाई से बेराछापरी भाया बलाईपाम की ओर जाने वाली एफडीआर योजना के तहत 3.018 किलोमीटर लंबी और 4.22 करोड़ की लागत से बनाये जा रहे पथ मार्ग के निर्माण में बाल श्रमिकों से मजदूरी कराई जा रही है।
वहीं ठेकेदार की इस मनमानी पर विभागीय अफसर भी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बालश्रम को लेकर अफसर कितने चिंतित हैं। उल्लेखनीय है कि बाल श्रम कानून 1986 (Child Labour Prohibition and Regulations Act 1986) के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी कार्य में नियोजित करना कानूनी अपराध है। साथ ही कोरोना महामारी में भी सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर इस पथमार्ग की निर्माण में लगे मजदूर मास्क भी नहीं पहनते हैं। जबकि महकमे में दिनों-दिन लगातार कोरोना के मामलों में वृद्धि हो रही है।
पीडब्ल्यूडी की ओर से बनाई जा रही सड़क में ठेकेदार बालश्रम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बाल मजदूरों से कड़ी मेहनत करवा रहा है। 9 से 10 साल की दो छोटी-छोटी बच्चियों से रास्ते का मिट्टी ब्रुश से साफ करवाई जा रही है। लोगों का कहना है कि यही बाल श्रमिक यदि किसी रेस्तरां अथवा चाय-पान, बाइक मरम्मत की दुकान में होता, तो बाल श्रम विभाग के अधिकारी तत्काल दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई कर देते।
इस बाल मजदूरी के समाचार विभिन्न समाचार और चैनलों में प्रकाशित होने के बाद इस संदर्भ में स्थानीय एक संगठन ने बाल श्रमिक के हेल्पलाइन नंबर 1098 मे संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई है।
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