ईटानगरः अरुणाचल प्रदेश की भारत-चीन विवादित सीमा क्षेत्रों को लेकर चीन की दिन प्रतिदिन कोई न कोई नापाक हरकतों सामने आ रहे है। हाल ही में पेंटागन की एक रिपोर्ट सामने आया है कि अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ एक गांव बसा लिया है। रिपोर्ट में चीनी गांव के बारे में दावा किए जाने के बाद भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि ऊपरी सुबनसिरी जिले में विवादित सीमा के साथ उल्लिखित गांव क्षेत्र में है, जो चीन द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
पेंटागन की वार्षिक रिपोर्ट में भारत-चीन सीमा से लगे चीनी गांव का जिक्र किए जाने पर सूत्रों नेे बताया कि गांव को चीन ने उस इलाके में बनाया है जिस पर असम राइफल्स को हटाकर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने कब्जा किया था। पेंटागन की रिपोर्ट के बाद भारतीय पक्ष की प्रतिक्रिया आई है जिसमें दावा किया गया था कि 2020 में चीन ने विवादित क्षेत्र के अंदर 100 घर का एक गांव बनाया था।
चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में राज्य के बीच भारत के अरुणाचल प्रदेश सरकार पेंटागन ने कहा कि भारत-चीन के साथ ये और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयास भारत सरकार के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहे हैं। इसके विपरीत चीन ने भारत के बढ़ते बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से गतिरोध को भड़काने के लिए भारत को दोष देने का प्रयास किया है।
पिछले साल 5 मई को एलएसी के पास स्थित पैंगोंग झील क्षेत्रों में एक हिंसक झड़प के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हो गया था। बाद में इस क्षेत्र में दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर काम पूरा किया।
हालांकि भारत और चीन 10 अक्टूबर को अपने 13वें दौर की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख में शेष घर्षण बिंदुओं में गतिरोध को हल करने में कोई प्रगति करने में विफल रहे। भारत ने उम्मीद जताई है कि चीन एक-दूसरे की संवेदनशीलता और हितों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा मुद्दों का संतोषजनक समाधान निकालने के लिए उसके साथ काम करेगा।
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